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१८१. पत्र: डब्ल्यू० एच० पिटको

अलवाई

१८ मार्च, १९२५

प्रिय श्री पिट,

वाइकोममें मन्दिरको जानेवाली सड़कपर सत्याग्रहियोंको सीमा-रेखा पार करनेसे रोकने के लिए बनाई गई नाकेबन्दियों और पुलिस दलको हटानेकी सम्भावना और वांछनीयतापर हमारी जो बातचीत हुई थी उसे देखते हुए स्थितिको जैसा मैंने समझा है वह इस प्रकार है: सरकार और सुधारक दोनोंका एक यही उद्देश्य है कि तथाकथित अछूतों द्वारा सड़कोंका उपयोग करनेपर लगाई गई पाबन्दी हटा ली जाये। आपका विचार है कि यदि मैं सत्याग्रहियों-को यह सलाह दूँ कि वे नाकेबन्दियों और पुलिस दलके न रहते हुए भी अन्तिम निर्णय होनेतक सीमा-रेखाको पार न करें तो मैं जो-कुछ चाहता हूँ वह और भी जल्दी हो जायेगा। आप मुझसे कहते हैं कि कट्टरपन्थी लोगोंको नाकेबन्दियों तथा पुलिस दलकी उपस्थितिसे बल मिलता है क्योंकि वे यह गलत अनुमान लगा लेते हैं कि नाकेबन्दियाँ खड़ा करने और पुलिस दल बैठानेका उद्देश्य उनके मनके अनुसार स्थिति बनाये रखने में सहायता पहुँचाना है। आपके साथ हुई बातचीतसे मुझे ऐसा लगा कि यदि मैं आपके सुझाये हुए ढंगपर सीमा-रेखाका उल्लंघन न करनेका वादा करूँ तो आप उन आदेशोंको जिनके अधीन आप कारवाई कर रहे हैं, वापस करा सकेंगे। यद्यपि मै सहज ही यह विश्वास नहीं कर पाता हूँ कि यदि सत्याग्रही आपके बताये हुए तरीकेको उपयोगमें लायें तो कट्टरपन्थियोंका दिल पसीज जायेगा और उनकी स्थिति कमजोर हो जायेगी, फिर भी आपके सुझावके पीछे जो भावना है उसकी मैं कद्र करता हूँ। इसलिए मैं परीक्षणके तौरपर आपके दिये हुए सुझावको स्वीकार करनेकी सलाह देनेके लिए तैयार हूँ। आखिर सत्याग्रही यही तो चाहते हैं कि जनताकी सक्रिय तथा जबरदस्त राय उनके पक्षमें हो जाये। उनका उद्देश्य कट्टरपन्थियोंको नाराज करनेका नहीं है बल्कि उन्हें अपने पक्षमें लानेका है। इसके अतिरिक्त उनका उद्देश्य इस आन्दोलनको चलाकर किसी प्रकार भी सरकारको परेशान करना नहीं है, बल्कि जहाँतक सम्भव हो, उसकी सहानुभूति और उसके समर्थनको प्राप्त करना है। इसलिए आपकी ओर से यह जानकारी मिलनेपर कि इस पत्रमें उल्लिखित प्रतिषेधात्मक आदेश वापस ले लिया गया है, मैं आपके सुझावपर तुरन्त अमल करनेके लिए तैयार हूँ। इसका असर यह होगा कि सत्याग्रही बहुत कम संख्यामें जो कि वर्तमान संख्यासे ज्यादा नहीं होगी अपने उद्देश्यके समर्थनमें सीमा-रेखातक जायेंगे और जाकर खड़े रहेंगे या

१. त्रिवेन्द्रमके पुलिस कमिश्नर।

२.१० मार्चको त्रिवेन्द्रममें।