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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पहनना न तो पुरुष सभ्यतापूर्ण समझते हैं और न स्त्रियाँ ही। मैं विदेशी या मिलके बने कपड़ोंको पहनना लज्जाजनक और अपमानजनक समझता हूँ। एजवाहा लोग एक समय बुनकर थे और वे अपने कपड़े स्वयं तैयार करते थे। एक ईसाई महोदयने मुझे लिखा है कि खद्दर पहनना असम्भव है। मुझे इस बातपर विश्वास नहीं होता कि कोई लाट पादरी या रोमन कैथोलिक पादरी अपने धर्मावलम्बियोंको शुद्ध हाथ बुना खद्दर न पहननका आदेश दे सकता है। अपने खद्दर पहननेके वादेको पूरा करनेके लिए आपको संगठन तथा विशेषज्ञकी सहायताकी आवश्यकता है, इसलिए मैं आपसे अपील करता हूँ कि आप तमिलनाडुके मित्रोंकी सहायता लें।

[अंग्रजीसे]
हिन्दू, १९-३-१९२५

१८३. भाषण: अलवाईके यनियन कालेजमें

१८ मार्च, १९२५

गांधीजीने उत्तर देते हुए एशियाके महाकवि द्वारा छात्रावासके उद्घाटनपर और शानदार जगहके लिए कालेजको बधाई दी। उन्होंने कहा कि बौद्धिक ज्ञान द्वारा जीविकोपार्जन करना शिक्षाका दुरुपयोग है। मेरा खयाल है कि आप लोग हृदय और शरीरकी संस्कृतिकी उपेक्षा कर रहे हैं। भाषण समाप्त करते हुए महात्माजीने छात्रोंसे कहा कि वे खद्दर और चरखके सम्बन्धमें उदासीन रहनमें ही उदारता मानकर सन्तुष्ट न हो जायें। मैं आपके सामने डा० प्रफुल्लचन्द्र रायका अनुकरणीय उदाहरण रखना चाहता हूँ जिन्होंने गरीबोंको राहत पहुँचाने के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया है।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १९-३-१९२५




१. रवीन्द्रनाथ ठाकुर।