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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रहेगा। किन्तु एक काम हम कर सकते हैं, वह यह कि इस पेशेको गर्हित घोषित कर दें और उसकी जो प्रतिष्ठा इस समय है उसे नष्ट कर दें। उसकी प्रतिष्ठाके प्रत्येक चिह्नको मिटा दें। ऐसा करनेके लिए हम इस प्रथाकी घोर निन्दा करें।

मैं आपको सलाह दूँगा कि आप ऐसे प्रत्येक परिवारकी गणना करें जहाँ एक लड़कीको वेश्यावृत्तिके लिए अलग रखनेकी प्रथा है। हमें लोगोंको समझाना होगा कि उनका ऐसा करना सर्वथा अनुचित है। दूसरी बात यह है कि हमें इन अभागी स्त्रियोंके मामलेको अपने हाथमें लेना होगा और उनके लिए उपयुक्त रोजगार ढूँढ़ने होंगे। मैंने बंगालमें बारीसालकी ऐसी स्त्रियोंके साथ इस मामलेपर दो घंटेसे अधिक समयतक बातचीत की थी। इन स्त्रियोंकी काफी आय है। हम उनसे यह वादा नहीं कर सकते कि दूसरे किसी रोजगारसे उनको उतनी ही आय होगी, जितनी कि इस पापपूर्ण पेशेसे होती है। यदि वे अपना जीवन सुधार लेती हैं तो उन्हें उतनी आयकी आवश्यकता भी नहीं होगी। कताईसे उनकी आजीविका नहीं चल सकती। वे इसे केवल मन बहलाने और आत्मत्यागकी भावनासे अपनायें। कताई करनेका मेरा यह सुझाव केवल उनकी आत्मशुद्धि-के लिए है। किन्तु उनके लिए धन्धे भी ढूँढ़े जा सकते हैं, जिन्हें कि वे आसानीसे सीखकर अपना काम चला सकती हैं। वे धन्धे हैं, बुनाई, सिलाई या खद्दरपर किया जानेवाला कशीदेका काम। कुछ पारसी महिलाएँ रंग-बिरंगी सुन्दर बुनाईका काम कर रही हैं। गोटेका काम, कशीदाकारी और ऐसी दूसरी दस्तकारियाँ भी हैं, जिनसे वे सरलतापूर्वक १२ आनेसे लेकर डेढ़ रुपयातक प्रतिदिन कमा सकती हैं। देवदासियोंकी संख्या ज्यादा नहीं है। इस कारण उनके लिए ५-६ दस्तकारियोंको ढूँढ़ निकालना कठिन नहीं होगा। हमें ऐसे स्त्री-पुरुषों, विशेषकर स्त्रियोंकी आवश्यकता है जो इन दस्तकारियोंमें प्रशिक्षित हों और जो पवित्र जीवन बिताती हों, वे अपनी इन पतित बहनोंके सुधारका कार्य अपने हाथमें लें। आप ऐसे ही उद्देश्यसे स्थापित अन्य संस्थाओंका अध्ययन करके उनका अनुकरण भी कर सकते हैं। उद्धारके इस पुण्य कार्यके लिए एक जानकारकी आवश्यकता है जो इसके लिए अपना जीवन अर्पित कर सके।

भाषण समाप्त होनेपर जब महात्माजीने लोगोंसे प्रार्थना की तब सार्वजनिक कार्यके लिए उन्हें लक्ष्मण मुदलियरने कानोंके बुन्दे और अँगूठी दी। उन्होंने उन्हें श्री लक्ष्मण मुदलियरको वापस देकर कहा कि देवदासियोंके सुधारके लिए हम जो कोष इकट्ठा करनेवाले हैं उसके लिए इसे प्रथम दान माना जाये।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-३-१९२५