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एक शिक्षककी उलझन

लिए यदि कोई मुझसे उनमें आनेका आग्रह करता है और मैं खादीके कपड़ोंकी शर्त मनवा सकता हूँ तो मनवा लेता हूँ।

इन सभी प्रश्नोंमें विवेक और प्रेमकी बात आती है। जो बात एक अवसरपर उचित होती है वही दूसरे अवसरपर अनुचित हो सकती है। मनुष्य तो चेतन प्राणी है, यन्त्रवत् जड़ नहीं। इसी कारण हर मनुष्यके कार्यमें भिन्नता, नवीनता और विरोधाभास आदि होते ही हैं। किन्तु जहाँ सत्य और प्रेमरूपी दो दिव्य मार्गदर्शक हों, वहाँ सूक्ष्मदर्शी पुरुष भिन्नतामें अभिन्नता, विरोधमें अविरोध और अनेकतामें एकताके दर्शन किये बिना नहीं रहता। जिस प्रेममें सहिष्णुता नहीं है, वह प्रेम ही नहीं है। मेरे लिए पूजनीय गौको मारनेवाले मुसलमानके गोवधको मैं सहन कर लेता हूँ; इसीसे मुझे उससे गोवध न करनेका विनयपूर्वक अनुरोध करनेका अधिकार प्राप्त होता है। माननीय ठाकुर साहबके समारोहमें शराबके दिये जानेको सहन करके ही मुझे उनसे विनयपूर्वक मद्यपान निषेधकी बात कहनेका अधिकार प्राप्त होता है। कोई पूछे कि यदि आप उनके भोजमें न जाते तो क्या माननीय ठाकुर साहब आपको मद्य-निषेधकी बात कहनेसे रोक सकते थे? इसका उत्तर यह है कि ठाकुर साहब शिष्टतावश सुनेंगे अवश्य, किन्तु वे उसे सुनकर भी उसपर ध्यान नहीं देंगे। किन्तु यदि मैं उनके समारोहमें भाग लेनेपर भी उनसे मद्य-निषेधकी बात कहूँ तो वे उसे ध्यानपूर्वक सुनेंगे और मेरी सहिष्णुताको निष्फल नहीं जाने देंगे।

अन्तमें मुझे इस विषयको समाप्त करते हुए कहना चाहिए कि इस सम्बन्धमें मेरा अनुकरण करना हानिकर हो सकता है। इसलिए मेरे साथ रहनेवाले लोगोंको ऐसा अनुकरण करते हुए सावधान रहना चाहिए।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २२-३-१९२५

१९६. एक शिक्षककी उलझन

जो शालाएँ खादी-प्रचारको स्वराज्य प्राप्तिके लिए आवश्यक मानती हैं उनमें खादी अनिवार्य करनेके विरुद्ध एक शिक्षक नीचे लिखी दलीलें देते हैं:

१. आसपासके कुटुम्बियों और पड़ोसियोंके रंग-बिरंगे विलायती कपड़ोंसे मोहित होकर नासमझ बच्चे खादीको आफत समझकर ही अपना पाते हैं और इस तरह बचपनसे ही ढोंगी बनना सीखते हैं। अगर आपका यह कहना है कि जिस स्कूलमें अधिकांश विद्यार्थी खादी पहनते हों, वहाँ ऐसे बच्चे भी स्वयं खादी पहनना ही पसन्द करेंगे, तो नासमझ बच्चोंके लिए खादी पहनना अनिवार्य बना कर उसे अप्रिय बनानेके बजाय स्कूलमें भरती होने के बाद उन्हें स्वतः खादी पसन्द करने दी जाये। और इसके लिए थोड़े दिन धीरज रखना पड़े तो वह ज्यादा अच्छा रहेगा।

१. इन्हें संक्षिप्त रूपमें दिया जा रहा है।

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