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२००. भाषण: मद्रासमें


२२ मार्च, १९२५

मद्रास अहातेमें अपने दौरेके इस हिस्सेकी शुरूआत इस समारोहके साथ करते हुए मुझे बड़ी ही खुशी हो रही है। अभी एक मानपत्र पढ़ा गया। आपने उसमें यहाँ आनेकी दावत मंजूर करनेपर मेरा शुक्रिया अदा किया है। लेकिन शुक्रिया तो आपको मेरा, एक कैदीका नहीं, बल्कि मुझे कैद करनेवाले, मेरे जेलर, श्री एस० श्रीनिवास आयंगरका अदा करना चाहिए। (हँसी)। यहाँ मेरे सारे वक्तके बँटवारेका काम उन्हींके हाथमें था। अस्पृश्यता-निवारणकी लगन उनमें उतनी ही है जितनी हममें से किसीमें भी हो सकती है। आपने समाज-सेवाके प्रति नई पीढ़ीके लोगोंके उपेक्षा भावका जिक्र किया है। मैं एक हदतक इसकी ताईद करता हूँ। यह सच है कि नई पीढ़ीके लोग काम नहीं चाहते, जोश चाहते हैं। पर मैं आपको यह भी बतला दूँ कि अभी ऐसे सैकड़ों लोग पड़े हैं जिनको दुनिया नहीं जानती और जिनकी कहीं भी शोहरत नहीं, परन्तु जिन्होंने इस तरहकी समाजसेवामें अपनी योग्यता सिद्ध कर दी है, जो अभी-अभी आपकी बताई समाज-सेवासे भी बहुत कठिन है। यहाँ मद्रासमें आपको उस व्यवस्थाकी सुख-सुविधाएँ प्राप्त है, जो सभ्यता कही जाती है। (हँसी)। मैं आपसे जिन युवकोंकी बात कर रहा हूँ और जिनके नाम मेरे दिमागमें हैं, उन्होंने अपना सारा समय गाँवोंमें रहकर समाजसेवा करने में लगाया है। बाहरकी दुनियासे उनका कोई सम्पर्क नहीं। वे अखबार नहीं पढ़ते। उनकी किताबमें जोश नामका कोई शब्द नहीं। वे जनताके बीचमें रहे हैं। और उनका जीवन बिलकुल जनताकी तरह है। मैं चाहता हूँ कि आप उनकी मौन सेवाओंपर ध्यान दें। इतने मनोयोग और इतने आत्म-त्यागपूर्ण ढंगसे की गई उनकी इस सेवाको आप अन्य नवयुवकों द्वारा की जानेवाली उपेक्षाका प्रायश्चित्त मानें और शेष नवयुवक जो वास्तविक सेवाका अर्थ नहीं जानते, उनकी इस आत्म-त्यागपूर्ण सेवासे प्रेरणा लें।

मेरी रायमें तो यह सेवा ही हमारी शिक्षाका सबसे अच्छा अंश है। हमारे बेशुमार स्कूलोंमें जो शिक्षा दी जा रही है, मैं उसका विरोधी नहीं हूँ। लेकिन मैं जिस तौरतरीकेके जीवनका हामी हूँ, उसमें इस प्रकारकी शिक्षा दोयम दर्जेपर आती है। यदि यह शिक्षा हमें राष्ट्रका सेवक नहीं बना सकती तो मैं इसकी उपयोगिताको नहीं मान सकता। मुझे तो लगता है कि हमारे नगरोंमें आमतौरपर जिस ढंगकी समाज-सेवा की जाती है वह गोखलेके मतानुसार मनोरंजनका रूप ले लेती है। यदि हमें समाज-सेवाकी जिन लोगोंकी हम सेवा करते हैं, उनके लिए और राष्ट्र के लिए प्रभावकारी और उपयोगी

१. सोशल सर्विस लीग द्वारा दिये गये मानपत्रके उत्तरमें।

२. गोपाल कृष्ण गोखले।