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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुड़कर) कार्यकर्त्ताओंकी इस टोलीके नेताकी हैसियतसे इस समस्याके सभी पहलुओंका अध्ययन करेंगे और अपनी सारी सूझ-बूझ और बुद्धि इसे हल करने में लगायेंगे। मुझे यह भी पक्का भरोसा है कि इस अध्ययनके फलस्वरूप आप भी महान् प्रफुल्लचन्द्र रायकी तरह इसी निष्कर्षपर पहुँचेंगे कि भारतकी मेहनतकश जनताका उद्धार केवल चरखेसे ही हो सकता है।

आज मेरे पास काम बहुत और समय थोड़ा है। मेरे जेलरने मुझपर एक बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम लाद दिया है। ये जेलर तो यरवदाके जेलरसे भी अधिक कठोर काम लेनेवाले हैं। (हँसी)। मैं आपके सम्मुख समाज-सेवाकी कई और शाखाओंकी भी चर्चा करना चाहता था। पर मैं चरखेके इस सन्देशपर ही बस करता हूँ। आशा है कि मुझे अगली बार जब आपसे मिलनका अवसर मिलेगा तब आप सभी सिरसे पैरतक खद्दर पहने दिखाई पड़ेंगे। मैं आपको अपनी लीग द्वारा किये गये कार्यके लिए फिर बधाई देता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-३-१९२५

२०१. भाषण: मद्रासकी महिला सभामें।

२२ मार्च, १९२५

बहनो और मित्रो,

इस सुन्दर अभिनन्दन-पत्रके लिए मैं आपका आभारी हूँ। इस कताई-प्रतियोगिताके सिलसिलेमें यहाँ आकर मुझे बड़ी खुशी हुई है। लेकिन एक बातसे मुझे दुःख पहुँचा है और उसे मैं आपसे छिपा नहीं सकता। वह यह है कि यहाँ बहुत-सी बहनें ऐसी है जो खद्दर नहीं पहने हैं। भारतकी स्त्रियोंकी मुट्ठी में ही इस देशका भाग्य है। जबतक भारतीय स्त्रियाँ, पुरुषोंके साथ कन्धेसे-कन्धा मिलाकर पूरी शक्तिसे काम नहीं करतीं, तबतक वह स्वराज्य स्थापित नहीं किया जा सकता, जिसका मैं स्वप्न देखता हूँ। स्त्रियोंकी सभाओं में मैंने स्वराज्यको रामराज्य कहा है और देशमें जबतक हजारों सीता पैदा नहीं होतीं, तबतक रामराज्य होना असम्भव है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि राम और सीताके जमाने में हाथ कते और हाथ बुने वस्त्र खद्दरके अतिरिक्त दूसरा कोई वस्त्र ही नहीं होता था। सीता आपकी तरह विदेशी वस्त्रोंमें सजकर देश-भरमें नहीं घूमी थीं। सीताके लिए तो अपनी सज्जाके लिए अपने देशमें तैयार वस्त्र पर्याप्त था। यह तो भारतकी आधुनिक स्त्रियाँ ही हैं, जो मुझसे कहती हैं कि खद्दर इतना मोटाझोंटा और खुरदरा है कि वे उसे नहीं पहन सकतीं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि आपके खद्दर पहनना बन्द कर देनेसे हमारे सैकड़ों भाई-बहिन गरीब हो गये हैं। आप

१. श्रीमती चिन्नास्वामी आयंगार द्वारा भेंट किये गये मूल तमिल अभिनन्दन-पत्रके उत्तरमें गांधीजीने अंग्रेजीमें भाषण दिया था। उसका वाक्यशः तमिल अनुवाद श्री एस० श्रीनिवास आयंगरने किया था।