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सम्पूर्ण गांधी वाड़्मय

चरखा

मैं भावनगर ऐसा सोचकर नहीं गया था कि वहाँ चरखेको मताधिकारकी एक शर्तके रूपमें स्वीकार कर लिया जायेगा। इसलिए चरखेके बारेमें प्रस्ताव देखकर मैं तो प्रसन्न ही हुआ था। किन्तु उस प्रस्ताव में कुछ बातें जरूरतसे ज्यादा थीं। उसमें कहा गया था कि प्रतिवर्ष हरएक सदस्यको ५० रुपये मूल्यकी खादी बेचनी चाहिए और कार्यकारिणी समितिके सदस्योंको ५०० रुपये तककी। मैंने इस बातको वापस लेनेका सुझाव दिया। यदि सदस्यगण इस हदतक उत्तरदायित्व स्वीकार करनेके लिए तैयार हो जायें, तब तो हम अविलम्ब विदेशी कपड़ेका बहिष्कार कर सकते हैं। किन्तु मताधिकार पानेके लिए ऐसी कोई शर्त लगा देना, जो दूसरोंके सहयोगके बिना पूरी नहीं हो सकती, मताधिकारके मूल तत्त्वपर ही आघात कर देना है।

यद्यपि यह शर्त मताधिकारकी हदतक हटा ली गई है, फिर भी जो लोग खादीका प्रचार कर सकते हैं, वे लोग तो करेंगे ही। विषय-समितिमें जो चर्चा हुई वह मुझे अतिशय प्रिय लगी। सबने अपनी-अपनी बात निडर होकर कही। मैने देखा कि कातनेके विरोधमें मत-प्रदर्शित करनेवाले लोग भी काफी थे। किन्तु उनका तर्क अधिकतर लोगोंको पसन्द नहीं आया। यहाँ अपरिवर्तनवादी और स्वराज्यवादियों जैसे कोई वर्ग कदापि नहीं थे, इसलिए चर्चा कातनेके गुण दोषोंको लेकर ही होती रही। इस सम्बन्धमें दो परस्पर विरोधी मत थे। एक कातनेके पक्षमें और दूसरा कातनेकी शर्तको मताधिकारके साथ जोडनेके विरोधमें।

जिन लोगोंने कातनेके पक्षमें मत दिया है, उनका कर्तव्य बिलकुल स्पष्ट है। उन्हें अपनी अविचल निष्ठा स्वयं कातकर और अन्य प्रकारसे खादीका प्रचार करके सिद्ध करनी है। यदि वे इस प्रकार खादीके पक्षमें मत देनेके बाद नियमसे नहीं कातते तो वे काठियावाड़ और मुझे, दोनोंको, दगा दे रहे हैं, ऐसा कहा जायेगा। और यदि वे निरन्तर कातते रहे, तो वर्षके अन्त में देखेंगे कि जो कातनेवाले नहीं हैं, वे भी कातन लगे हैं।

खादी पहनो

जो बात कातनेके विषयमें है, वही खादी पहननेके विषयमें भी है। खादी पहननेकी बातका तो लगभग कोई विरोध ही नहीं था। खादी पहननेके पक्षमें इतने मत आनेके बाद भी काठियावाड़में खादी पहननेवालोंकी संख्या इतनी कम है, यह देखकर दुःख होता है। इसे बड़े दुःखकी बात कहना चाहिए कि काठियावाड़की खादी बाहर जाती है और उसको स्थानीय बिक्री बहुत ही थोड़ी होती है। किन्तु अब चूँकि खादीके पक्षमें इतने मत आये हैं, आशा की जा सकती है कि उसकी बिक्री काठियावाड़में काफी बढ़ जायेगी।

आजन्म सदस्य

काठियावाड़ राजनीतिक समितिके लगभग ३६ आजन्म सदस्य हैं, क्योंकि उन्होंने उसका शुल्क पाँच रुपया एक ही बारमें दे दिया है। इन सदस्योंमें से एकने आजन्म