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भाषण: मद्रासकी सार्वजनिक सभामें

सन्तुष्ट हो जाने पर उनसे मेरा अगला प्रश्न यह होगा, "क्या आप हिन्दू-मुसलमानपारसी-ईसाई-यहूदी एकतामें विश्वास करते हैं?" इस प्रश्नका उत्तर भी सन्तोषजनक मिले तो मैं पूछूँगा, "क्या आप हिन्दू हैं और क्या यह सभी जातियोंका सम्मिलित निर्वाचन-क्षेत्र है, जिसमें मैं हिन्दुओं, मुसलमानों और अन्य जातियोंके लोगोंको भी मत दे सकूँगा? कृपया यह भी बताएँ कि क्या आप उस अर्थमें अस्पृश्यता-निवारणमें विश्वास करते हैं, जिस अर्थमें मैंने उसे आपके सामने रखा है? " मैं एक बहुत ही महत्वाकांक्षी और उत्साही मतदाता हूँ। इसलिए मैं उनसे एक प्रश्न और पूछूँगा, "क्या आप मद्यपान-निषेध सम्बन्धी सुधारके पक्षमें हैं और क्या आप तुरन्त पूरी शराबबन्दी करानेके पक्षमें हैं, भले फिर उसके फलस्वरूप राजस्वमें कमी होनेके कारण सभी स्कूल बन्द क्यों न कर देने पड़ें?" अगर उनका उत्तर होगा---"हाँ," तो मैं आश्वस्त हो जाऊँगा और उनसे तुरन्त ब्राह्मण-अब्राह्मण समस्यापर एक-दो अन्य प्रश्न पूछकर यह देख लूँगा कि उनके इस बारेमें भी ठीक विचार है तो मैं उनको मत दूँगा। मैं तो बस यही करूँगा। आप और भी पचासों प्रश्न पूछ सकते हैं। लेकिन मैं आपको यही सलाह दूँगा कि आप जबतक ये सब और कुछ अन्य प्रश्न भी पूछ न लें तबतक सन्तोष न करें।

अब मैं उस बातके बारेमें कुछ शब्द कहूँ जो मेरे मनमें सर्वोपरि है। इस समय तिरुपुरमें १०,००० चरखे और १,००० करघे चल रहे हैं। वहाँ बुनकर बहनोंमें तीन लाखसे कुछ ऊपर रुपये बाँटे जाते हैं। तमिलनाडके मन्त्री, श्री सन्तानमको शिकायत है कि आप लोगोंको जो खद्दर दिया जाता है, आप उसे नहीं खरीदते, और इसलिए उन्हें, चन्द पैसोंपर आठ घंटे रोज खुशीसे कताई करनेके लिए तैयार, कई बुनकर बहनोंको बिना काम दिये लौटा देना पड़ता है। उन्होंने मुझे बताया है कि एक उसी जिलेमें साल-भरमें लगभग ५० लाख रुपयेतक का खद्दर तैयार किया जा सकता है। इस अहातेके कई अन्य स्थानोंमें भी ऐसी ही स्थिति है। यहाँ यदि कुछ शंकालु अब्राह्मण लोग हों, तो मैं उनको बताये देता हूँ कि ये बुनकर और कतैये अब्राह्मण ही हैं। अकेले तिरुपुरमें ही ७५,००० रुपयेकी खादी संचित है। आपके यहाँके महामन्त्री श्री भरूचा आज आपसे कहने आये हैं कि आपको अपने देशभाइयोंकी खातिर सूत कातना और खद्दर पहनना चाहिए। वे अपने कन्धोंपर खद्दरकी गठरी लेकर जगह-जगह और घर-घर जायेंगे और आपसे कहेंगे कि आप अपने देशवासियोंकी ओर देखें। भगवानके लिए समय बर्बाद न करें, इसपर बहस न करें कि क्या खद्दर भारतकी नित्य बढ़ती हुई गरीबीकी भारी समस्याको हल कर सकता है या नहीं। मेरी बातपर विश्वास करें कि यदि हम इस एक समस्याको ही उचित रूपसे और पूरी तरह हल कर लें तो उससे हमारी वर्तमान हजारों असाध्य समस्याओंके हलका रास्ता खुल जायेगा। जन साधारणको खद्दर सस्ता मिले इसके लिए रोज कमसे-कम आप आधा घंटा सूत कातने में संकोच न करें। ईश्वरने चाहा तो मैं तीन महीने बाद यहाँ फिर आऊँगा। (हर्षध्वनि) जब मैं यहाँ आऊँ तब मुझे यह दुःखद स्थिति तो न देखनी पड़े कि आप तीन महीने बाद भी जहाँके-तहाँ ही खड़े हैं। मेरी प्रार्थना है