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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भाइयोंसे नफरत करते हैं। आपके लिए रात्रिशालाएँ खोली भी जाती हैं तो आप उनमें जाते ही नहीं हैं। अगर आपके छोटे बच्चोंके लिए शालाएँ खोली जाती हैं, तो आप उनमें अपने बच्चोंको नहीं भेजते। अकसर आप समझते ही नहीं कि राष्ट्र क्या है। अक्सर आप राष्ट्रके लिए नहीं, बस अपने ही लिए जीते हैं और उसीमें सन्तोष मान लेते हैं। मैं ऐसा मजदूर न तो बनना चाहता हूँ और न कहलाना चाहता हूँ। आप अपने उन देश भाइयोंके बारेमें सोचते तक नहीं जो आपसे भी ज्यादा गरीब हैं और इसी कारण आप हाथकता और हाथबुना खद्दर इस्तेमाल नहीं करते। मैं इसीलिए मजदूरोंकी इस तरहकी सभाओंमें जब भी बोलता हूँ तब मजदूरोंका ध्यान इन त्रुटियोंकी ओर आकर्षित करते नहीं थकता।

मैं चाहता हूँ कि आप इस बातको महसूस करें और भली-भाँति समझ लें कि आप इस देशकी जनताके किसी भी वर्गसे किसी भी तरह हीन नहीं है; और न आपको हीन होकर रहना ही चाहिए। मैं चाहता हूँ कि आप अपने अन्दर राष्ट्रीय मसलोंको समझनेकी क्षमता पैदा करें। अगर आप ये सारी बातें करना आपको शराब पीनेकी लत भी छोड़ देनी चाहिए। आपकी गन्दगीमें अस्वास्थ्यकर ढ़गसे रहनेकी आदतें छोड़ देनी चाहिए। आप चाहे किरायेके मकानोंमें रहते हों जिन्हें मालिकोंने आपके लिए बनवाया है, परन्तु यदि वे गन्दे हों और उनमें न धूप पहुँचती हो और न हवा तो आप ऐसे मकानोंमें रहनेसे साफ इनकार कर दें। आपको अपने मकानों और बाड़ोंमें किसी भी तरहकी गन्दगी और अस्वच्छता नहीं रहने देनी चाहिए। आपको हर रोज ठीक तरह स्नान करके अपने बदन साफ रखने चाहिए और जैसे आपको अपने बदन और आसपासको जगहोंको पूर्णतः स्वच्छ रखना चाहिए वैसे ही अपना जीवन भी पवित्र रखना चाहिए। आपको जुआ कदापि नहीं खेलना चाहिए। आपके लिए जो शालाएँ खुलें या जिन्हें आप खोलें उनमें अपने बच्चे अवश्य भेजें और यह इसलिए नहीं कि आपके बच्चे आगे चलकर मजदूर न रहकर क्लर्क बन जायें, बल्कि इसलिए कि वे मजदूर बने रहकर अपनी बुद्धिका भी प्रयोग करना सीख सकें। अगर आप हिन्दू हैं, आपके पास मन्दिर नहीं है, या अगर आप मुसलमान हैं और आपके पास मस्जिद नहीं है, तो आपको कुछ पैसे इकट्ठ करके इनका निर्माण करना चाहिए। आप लोगोंमें से जो भी हिन्दू हैं, उनको किसी भी दूसरे हिन्दूको अछूत, पंचम या पेरिया नहीं मानना चाहिए। कोई भी व्यक्ति किसी दूसरेकी स्त्रीको बुरी नजरसे न देखे। और आखिरमें मुझे यह कहना है कि जहाँतक पोशाकका सवाल है, मैं जानता हूँ कि आपमें से बहुतेरे विदेशी कपड़ा पहने हैं, पर आप यह कपड़ा न पहनें फिर चाहे वह मैनचेस्टरसे आया हो या जापानसे, यहाँ तक कि बम्बई और अहमदाबादसे भी क्यों न आया हो। आप केवल हाथकता और हाथबना खद्दर ही पहनें। मैं आपसे खद्दर पहनने के लिए इस कारण कह रहा हूँ कि आपके एक गज खद्दर खरीदनेका अर्थ यह होता है कि उससे आप-जैसे ही मजदूरोंको दो-तीन आने मिल जाते हैं।

मेरा भारतके प्रत्येक मजदूरसे निवेदन है कि वह अपने हाथोंसे कताई, धुनाई और अगर हो सके तो बुनाई करना सीखे और हर रोज उसका अभ्यास करे।