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क्या बम्बई सुप्त है?

मजदूरोंसे ऐसा निवेदन करनेका एक विशेष कारण है। अहमदाबादमें १९१८ में जब मिल मजदूरोंकी पहली-पहली हड़ताल हुई थी, तब मैंने उसका नेतृत्व जनतासे चन्दा लेकर करनेसे इनकार किया था। और अन्य स्थानोंके मजदूरोंसे कहा था कि वे स्वयं मजदूरी करके, जनतासे चन्दा उगाहे बिना, उस हड़तालको सफल बनायें। उसके बादसे अब तक मैंने इन मामलोंको ज्यादा अच्छी तरह समझ लिया है. इसलिए अब मैं मजदरोंसे कहता हूँ कि वे कताई, बुनाई और धुनाईको कला सीख लें ताकि हड़ताल करनेकी नौबत आये तो वे इनके सहारेसे अनिश्चित समयतक उसे जारी रख सकें। यदि आप काफी मेहनत करें तो आप अपनी जरूरतके लायक कपड़ा स्वयं बुन सकते हैं। आशा है कि मैंने आज आपसे जो बातें कही हैं, आप उनको हृदयंगम कर लेंगे। मैंने आपसे जो-जो करनेको कहा है, वह सभी आपको करनेकी कोशिश करनी चाहिए। आपको बड़े सुबह चार बजे उठकर सबसे पहले ईश्वरसे प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि मैंने आज आपसे जो-जो काम करनेके लिए कहा है, ईश्वर वह सब करने में आपको सहायता दे।

इस सभामें आकर शान्तिपूर्वक मेरी बातें सुननेके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। ईश्वर आपको उत्तम, शुद्ध जीवन-यापनका सामर्थ्य दे। (देर तक जोरसे हर्षध्वनि)।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-३-१९२५

२०६. क्या बम्बई सुप्त है?

मद्रास
सोमवार २३ मार्च, १९२५][१]

मेरे पास ऐसी शिकायतें आती रहती हैं कि बम्बईमें चरखे नहीं चलाये जाते; वहाँ कोई खादी भी नहीं खरीदता और लोग खादी पहने दिखाई नहीं देते; काली टोपी १९२० की तरह फिर चल पड़ी है और राष्ट्रीय शालाएँ बन्द हो रही हैं, आदि। बम्बईकी सेवा दो खादी भण्डार और अखिल भारतीय खादी बोर्ड कर रहे हैं। कुल मिलाकर इन सबकी बिक्री ३०,००० रुपये प्रतिमाससे अधिक नहीं होगी। भाई जेराजाणीने[२] चार वर्षकी बिक्रीके आँकड़े प्रकाशित किये हैं। इनसे हम बहुत-कुछ जान सकते हैं। उनकी देखरेख में भण्डार पाँच वर्षसे काम कर रहा है। उसकी बिक्री १९२३ और १९२४ की जनवरीके महीनोंमें क्रमश: २२,२९९ रुपये और २२,५१६ रुपये थी। किन्तु पिछली जनवरीमें कुल बिक्री १४,४०१ रुपयेकी हुई। इन्हीं वर्षोंकी फरवरीमें भण्डारकी बिक्री क्रमशः १५,७४७ रुपये और २१,६६४ रुपयेकी हुई; पर इस वर्ष फरवरीमें १३,४२४

१. गांधीजीने अन्तिम अनुच्छेदमें इस तारीख और स्थानका उल्लेख किया है।

२.बम्बईके आदर्श खादी भण्डारके व्यवस्थापक तथा अ०भा० कां० के खादी विभागके बिक्री निदेशक।