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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यहाँ इस मद्रासमें ही गन्दी बस्तियोंमें ऐसी औरतें और ऐसे मर्द बहुतसे है जो इस समस्याकी गम्भीरताका खयाल नहीं करते। अगर आप सारी समस्यापर विचार करें तो आप चकरा जायेंगे। यह किसी एक आदमीके बूतेका काम नहीं है। इस महान् कामको पूरा करना हर किसीके बसकी बात नहीं। लेकिन जैसे समुद्रकी एक बूँदमें जहाज नहीं चल सकता, पर बूँदे मिलकर समुद्र बन जाये तो उसमें चल सकता है, वैसे ही सभी लोग अपनी-अपनी जगह दृढ़ निश्चयके साथ काम करें ताकि दु:साध्य कार्यको मिलकर पूरा कर सकें। अगर हम सब अपनेको समद्रकी एक तुच्छ बूँद समझें और सचाईसे काम करें, तो मुझे कोई सन्देह नहीं कि भारतमें वह दिन अवश्य आयेगा जब मद्यपानका अभिशाप मिट जायेगा (जोरदार तालियाँ)।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २४-३-१९२५


१५. भाषण: हिन्दी प्रचार कार्यालय, मद्रासमें[१]

२४ मार्च, १९२५


मित्रो,

यह जगह ऐसी है जहाँ माना जाता है कि लोग हिन्दी समझ लेंगे। फिर भी मुझे यहाँ आपके सम्मुख अंग्रेजी में बोलना अजीब लगता है। चूँकि उपस्थित लोगोंमें से अधिकांश आज हिन्दी नहीं जानते, अतः मैं अपना भाषण अंग्रेजीमें ही दूँगा। मेरी रायमें भारतमें सच्ची राष्ट्रीयताके विकासके लिए हिन्दीका प्रचार एक जरूरी बात है; विशेष रूपसे इसलिए कि हमें उस राष्ट्रीयताको आम जनताके अनुरूप साँचेमें ढालना है। आजसे पाँच वर्षसे कुछ पहले इसकी कल्पना इन्दौरमें हिन्दी साहित्य सम्मेलनके अधिवेशनमें की गई थी जिसकी अध्यक्षता मैंने की थी। उस समय ऐसा सोचा गया था कि प्रचारका सारा काम मद्रास अहातेसे बाहरके क्षेत्रोंमें इकट्ठ किये हुए धनसे चलाया जाये क्योंकि उस दिनके अधिकांश वक्ता मारवाड़ी सज्जन थे और उन्हें हिन्दीसे प्रेम है। इस बातको पाँच साल हो चुके हैं और इस प्रचार-कार्यको आत्म-निर्भर बनानेकी दिशामें कुछ काम भी किया गया है। इसलिए मैं इस अवसरपर फिर कहना चाहता हूँ कि इस अहातेको इस कामका बोझ उत्तर भारतके कन्धोंसे हटाकर अब खुद अपने कन्धोंपर लेना चाहिए। ऐसा करना उनका कर्त्तव्य ही है। बहुत थोड़ेसे नौजवान हैं जो हिन्दी सीखते और उसका अध्ययन करते हैं। जब इस योजनाको रूप दिया गया था तब मैंने सोचा था कि इन निःशुल्क हिन्दी कक्षाओंमें नौजवान कांग्रेसके नामपर बड़ी संख्यामें यथासम्भव जायेंगे। लेकिन मुझे और इन कक्षाओंको चलानेवाले लोगोंको यह देखकर बड़ी निराशा हुई है कि इनमें बहुत ही कम नौजवान आये हैं।

१. हिन्दी प्रचार समिति, मद्रास द्वारा दिये गये हिन्दी मानपत्रका उत्तर देते हुए।