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भाषण: भंगियोंकी सभा, मद्रासमें

आप जानते हैं कि युद्धके दौरान और युद्धके बाद भी यूरोपमें घर-घर केवल युद्धकी और युद्धजनित बुराइयोंकी ही चर्चा होती थी। उसी तरह मैं वास्तवमें चाहता हूँ कि हमारे अखबार भी चरखे के अलावा और किसी चीजकी चर्चा न करें। अगर हम अच्छी तरह समझते हैं कि देशके सामने इसके अलावा कोई दूसरा जीवन्त वास्तविक कार्यक्रम नहीं है, और जहाँतक मैं जानता हूँ यही एक वास्तविक कार्यक्रम है; तो हम भी वैसा ही क्यों न करें। इसलिए आप इस सन्देशको इस कार्यालयसे कमसेकम मद्रास अहातेके प्रत्येक गाँवमें तो ले ही जायें। (जोरसे हर्षध्वनि)।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २५-३-१९२५

२१८. भाषण: भंगियोंकी सभा, मद्रासमें

२४ मार्च, १९२५

मोनीगर चौलट्रोके निकट कुप्पत्तोट्रीके मैदानमें रहनेवाले भंगियोंने कल शाम महात्माजीका स्वागत किया।...एक भंगीने तेलुगुमें अभिनन्दन-पत्र पढ़ा। महात्माजीने उसका उत्तर हिन्दी में[१] संक्षेपमें दिया, और उसका श्री जी० रंगय्या नायडूने तेलुगुमें अनुवाद किया। महात्माजीने कहा कि जरूरत तो इस बातकी है कि आप अपने दैनिक जीवन में सफाईके उसूलोंपर अमल करें। स्वच्छ रहें, साफ-सुथरे कपड़े पहनें और हर रोज सुबह स्नान करें। आपको प्रतिदिन प्रातः और सायं ईश्वरकी प्रार्थना करनी चाहिए! मुझे आप लोगोंमें से अधिकांशको गन्दे कपड़े पहने देखकर दुःख होता है। आप लोगोंको अपना काम नहीं छोड़ना चाहिए और शराब जैसी बुरी आदतोंमें अपनी कमाई नहीं गँवानी चाहिए। अन्तमें, मेरा आपसे यही कहना है कि आप चरखा चलाये और खद्दर पहनें।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २५-३-१९२५

१. मूल हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है।