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त्रावणकोरके बारेमें

और एक योग्य कताई-शिक्षककी सेवाएँ प्राप्त करने के लिए विज्ञापन दे दिया गया है। यदि स्थानीय सरकार निश्चयपूर्वक और ढंगसे काम करे तो हाथ-कताईको लोकप्रिय बनानके लिए बहुत-कुछ किया जा सकता है। राज्यका एक हाथ-कताई विभाग है। उसमें एक सूती कपड़ा विशेषज्ञ है। दीवान महोदयने अपने भाषणमें हाथ-कताईके सम्बन्ध जो-कुछ कहा वह उद्धृत करने योग्य है। उन्होंने कहा:

बुनाई-विशेषज्ञको निर्देश दिया गया था कि वह सबसे पहले अपना सारा ध्यान हाथ-करघा बुनाईके सुधारकी ओर लगाये। यह उद्योग देशका सबसे महत्त्वपूर्ण कुटीर उद्योग है। बुनाई और रंगाईके उन्नत तरीकोंको लागू करने और प्रदर्शित करनेके लिए बड़े पैमानेपर एक केन्द्रीय तकनीकी संस्थाका होना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक भवनोंका निर्माण कार्य कला-शिक्षण शालाके अहातेमें चल रहा है। यह अहाता आसपासकी जमीन लेकर और बड़ा कर दिया गया है। जबतक यह भवन नहीं बनता तबतक एक किरायेकी इमारत लेकर इस तकनीकी संस्थाका काम शुरू कर दिया गया है। बुनाई विशेषज्ञने इस संस्थामें हाथसे बुनाई, रंगाई और सलाईसे बुनने के कामको शिक्षा देनके लिए ६-६ विद्यार्थियों को लिया है। इस संस्थामें सलाईसे बुनाईके और हाथकरघा बुनाईके उन्नत तरीकोंका और रंगाईके लिए देशी रंगोंके इस्तेमालकी सम्भावनाका व्यावहारिक प्रदर्शन किया जा रहा है। यह संस्था जनताके लिए खुली हुई है और इन चीजोंमें दिलचस्पी रखनेवाले लोग बड़ी संख्यामें वहाँ जाकर देखेंगे, ऐसी आशा की जाती है। बुनकरोंके दो सफरी दल नियुक्त किये गये हैं। इनमें से एक राज्यके दक्षिणी ताल्लुकोंमें घूम-घूमकर हाथ-करघा उद्योगमें लगे बुनकरोंमें काम कर रहा है और दूसरा उत्तरी ताल्लुकोंके बुनकरोंमें। बुनाई विशेषज्ञ अपने प्रयोगोंसे प्राप्त होनेवाले परिणामोंको इन्हीं बुनकरोंके दलों द्वारा राज्य-भरमें फैले हाथ-करघा उद्योगके बुनकरोंको बताते हैं और प्रचारित करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन बुनकर दस्तोंने लगभग २०० धोबियोंको बसाया। बुनकरोंको करघेके पुर्जे सस्ते भावपर मुहैया करने के लिए दो बिक्री केन्द्र खोले गये हैं, एक त्रिवेन्द्रममें और दूसरा नागरकोयलमें। इसके अलावा ये सफरी दल इन पुर्जीको घर-घर जाकर बुनकरोंके हाथ बेचते हैं।

अगर इस कार्यको सफल होना है तो जो व्यवस्था बुनकरोंके लिए की जा रही है वही हाथ कताईके लिए भी करनी पड़ेगी। सम्बन्धित विभाग चरखे में सुधार कर सकता है और जो चरखे इस्तेमाल में हैं उनकी जाँच कर सकता है। वह गरीब लोगोंको चरखे उधार दे सकता है और किस्तोंपर बेच सकता है। वह सस्ती दरोंपर बुनाईका कार्य हाथ में लेकर ऐच्छिक हाथ-कताईको बढ़ावा दे सकता है। वह बुनकरोंको हाथका कता सूत इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। और इससे ज्यादा शोभाजनक या उपयुक्त क्या हो सकता है कि राजपरिवारके लोग स्वयं

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