पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/४३२

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४०२ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय हाथसे सूत कातें और इस प्रकार उसे दलित वर्गके लोगोंमें लोकप्रिय बनायें ? आबादी मोटे तौरपर इस प्रकार है : ब्राह्मण सवर्ण हिन्दू अस्पृश्य ईसाई मुसलमान ६०,००० ७,८५,००० १७,००,००० ११,७२,९३४ २,७०,४७८ अध्यात्मवादी अन्य धर्मावलम्बी १२,६३७ ३४९ कुल : ४०,०६,०६२१ इन १७ लाख अस्पृश्यों और ११ लाख ईसाइयोंमें से अधिकांश बहुत गरीब हैं। उनके लिए गृह-उद्योगके रूपमें खाली वक्तमें कताई तो वरदान ही है । जिनके पास खेती हैं वे कताईका काम पूरे दिन नहीं करते और न कर सकते हैं। यदि राज्य इस महान् राष्ट्रीय उद्योगके विकासका पूरा प्रयत्न करे और खद्दरको सरकारी संरक्षण दे तो कपासको राज्यके चालीस लाख लोगोंकी जरूरतके लायक कपड़े की शक्ल में लाने के लिए जितना श्रम दरकार होगा उससे सिर्फ प्रति व्यक्ति तीन रुपये के हिसाबसे भी सारी जनताकी बचतमें, दूसरे शब्दोंमें कहें तो आयमें, तुरन्त ही कमसे- कम १,२०,००,००० रुपयेकी वृद्धि हो जायेगी । त्रावणकोर-जैसा अत्यन्त ही सुव्यवस्थित राज्य हाथ-कताईके मामलेमें एक सुनियोजित वैज्ञानिक दृष्टि अपनाकर बहुत ही कम समयमें अकाल, बाढ़ और गरीबीकी अपनी समस्याको हल कर सकता है । - ईसाइयोंसे मुझे सभी ईसाइयोंको- बिशपसे लेकर आम ईसाईतक को -- विदेशी वस्त्र पहने देखकर बहुत क्षोभ हुआ । इस राज्यमें ईसाई लोग ही सबसे अधिक शिक्षित और प्रगतिशील हैं। देशके प्रति उनका कर्त्तव्य है कि वे अपनी उच्च शिक्षाको, बुद्धिको देशकी सेवामें लगायें। उनकी सबसे महती सेवा यही हो सकती है कि वे कताई और चरखेको अपनाकर अन्य सभी जातियोंके सम्मुख उदाहरण रखें। मैं अन्योंको छोड़कर सिर्फ ईसाइयोंसे ही यह अनुरोध इसलिए कर रहा हूँ कि वे हिन्दुओं और मुसलमानों- की अपेक्षा अधिक संगठित हैं । भारतके अन्य भागोंके ईसाइयोंके मुकाबले इस राज्यके ईसाई अधिक प्रभावशाली हैं और संख्यामें भी अधिक हैं। इसलिए वे त्रावणकोरमें बड़ी आसानीसे अगुआ बन सकते हैं। देशके अन्य भागोंके ईसाइयोंसे हम ऐसी आशा नहीं कर सकते । मद्यपानका अभिशाप अस्पृश्यताके बाद, सबसे अधिक शोचनीय अभिशाप मद्यपानका ही है । १९२२ में राज्यको मादक वस्तुओंके करसे ४६,९४,३०० रुपयेकी और भूमिकर या लगानसे १. कुल संख्या ४०,०१,३९८ होती है। Gandhi Heritage Portal