पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/४४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२३०. भाषण: महिलाओंकी सभा, बम्बईमें[१]

२६ मार्च, १९२५

गांधीजीने कहा कि यहाँ जो सूत काता गया है वह जितना अपेक्षित था, उतना बढ़िया और महीन नहीं है। लेकिन इसमें दोष आपका अपना ही है, क्योंकि आजसे चार वर्ष पहले आपने चौपाटीमें इतनी बड़ी संख्यामें एकत्र होकर जो बड़ी-बड़ी आशाएँ बँधाई थीं, वे पूरी नहीं हुई हैं। अगर आपको वस्त्र-सम्बन्धी अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताएँ पूरी करनी हैं तो आपको चालीस या इससे अधिक अंकका ही सूत कातना चाहिए। मैंने तो इस देशमें ८० अंकका भी सूत कतवाया है। वह इतना बारीक था कि उससे ढाकेको मलमल-जैसा महीन कपड़ा बनाना सम्भव है। मैंने खादी और कताईके बारे में जो बड़ी-बड़ी आशाएँ रखी हैं, आप बम्बईकी स्त्रियाँ उन्हें पूरी करने में सहायता दें। मैंने अभी हालमें दक्षिण भारतको यात्रा की थी। मैं ठेठ कन्याकुमारी तक गया था। वहाँ में त्रावणकोरकी महारानीसे लेकर मामूलीसे-मामूली लोगों तकसे मिला; और मुझे आपको यह बताते प्रसन्नता होती है कि महारानीने मुझसे वादा किया है कि वे सिर्फ खादी ही पहनेंगी और सूत भी कातेंगी। मैंने अपनी आँखोंसे देखा है कि त्रावणकोरमें अभी कुछ वर्ष पहलेतक हर परिवार अपनी जरूरतका सारा कपड़ा खुद सूत कातकर तैयार कर लेता था। कोचीनमें राज-परिवारके लोग खादी पहनते थे और सूत कातते थे। लेकिन यहाँ उपस्थित बहनोंमें से कितनी बहने खादी पहने हुए हैं? मैं यह बात भली-भाँति जानता हूँ कि बम्बईके लोग, जो आँख मूँदकर पैसा खर्च करते हैं, चरखके महत्त्वको अच्छी तरह नहीं समझ सकते। लेकिन उड़ीसाके अकाल-पीड़ित अस्थिपंजर-मात्र दिखनेवाले स्त्री-पुरुष खादी और चरखके महत्त्वको अवश्य समझते हैं। जब मैं तिलक स्वराज्य कोषके लिए चन्दा इकट्ठा करने उड़ीसा गया था, तब इन भूखे मरते हुए लोगोंने भी अपना हिस्सा देकर मुझे सहायता दी थी। बम्बईको स्त्रियों की अपेक्षा, ऐसे भूखों मरते लोगोंके लिए चरखा कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है। श्रीमती नायडूने मुझे बताया है कि भोपालकी बेगम साहिबाने अपने उपयोगके लिए बहुत-सी खादी मँगवाई है। मेरा बेगमों और धनीमानी स्त्रीपुरुषों से अपना थोड़ा-सा समय कताईमें लगानेका अनुरोध करनेका हेतु यह है कि वे इस तरहसे अपने-आपको गरीब लोगोंके स्तरपर ला सकें और कमसे-कम कुछ हद तक उनकी भारी मुश्किलों और मुसीबतोंको समझ सकें। जो गरीबोंके लिए सदावत लगाते हैं वे दरअसल पाप करते हैं; यद्यपि वे जानबूझ कर ऐसा नहीं करते। क्या

१. राष्ट्रीय स्त्री सभाके तत्वावधानमें कांग्रेस हाउस, गिरगाँवमें हुई इस सभाकी अध्यक्षता सरोजिनी नायडूने की थी।