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२४३. पत्र: रामेश्वरदास बिड़लाको

सत्याग्रहाश्रम
साबरमती
चैत्र शुक्ल ६ [३० मार्च, १९२५] [१]

भाईश्री रामेश्वरदासजी,

आपका पत्र मीला है। रु० ५००० मीलनमें आपकी इच्छानुसार अंत्यज सेवामें उसका व्यय करूंगा। जमनालालजीके वहांसे जबतक कुछ खत नहि आया है। जमनालालजी आजकल खादी प्रचारके लीये राजपुतान में भ्रमण कर रहे है।

आपका,
मोहनदास गांधी

श्रीयुत रामेश्वरदास बिड़ला
बिड़ला हाउस
रांची

मूल पत्र (सी० डब्ल्यू०६१२२) से।

सौजन्य: घनश्यामदास बिड़ला

२४४. वाइकोम-सत्याग्रह

मुझे त्रावणकोरके पुलिस कमिश्नर श्री पिटका एक तार उस समय मिला था जब मैं 'यंग इंडिया' के पिछले अंकके लिए वाइकोमके विषयमें अन्तिम पंक्तियाँ लिख चुका था। इस कारण मैं उस अंकमें अपने और पुलिस कमिश्नरके बीचके पत्र-व्यवहारको [२] नहीं दे सका था। लेकिन पाठकोंने यह पत्रव्यवहार अन्य अखबारोंमें अवश्य देख लिया होगा। अभीष्ट सुधारकी दिशामें यह एक निश्चित प्रगति है। पत्र-व्यवहारसे साफ जाहिर है कि त्रावणकोर सरकार इस सुधारके पक्षमें है और उसे जल्दीसेजल्दी अमलमें लानेके लिए कृतसंकल्प है। कोई यह न समझे कि मैने इस प्रश्नके निर्णयको मत-संग्रहपर या धर्मशास्त्रियोंकी व्याख्यापर छोड़कर सुधारको ही खतरे में डाल दिया है। वर्तमान आन्दोलनका प्रारम्भ ही इस मान्यताके आधारपर हुआ है कि इस सुधारको सवर्ण हिन्दुओंका एक बहुत बड़ा बहुमत चाहता है और दलित वर्गोंपर जो प्रतिबन्ध लगा हुआ है, मूल हिन्दू शास्त्रोंमें उसका कोई आधार नहीं

१. जमनालाल बजाज १९२५ में राजपूतानामें खादी प्रचारके लिए गये थे।

२. देखिए "पत्र: एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाको", २४-३-१९२५।