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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

धुनाई एक ऐसा धन्धा है जो शहरों और गाँवों दोनोंमें आमदनीका जरिया बन सकता है। इसलिए यह एक ऐसा काम है जिसे नौजवान एक धन्धेके रूपमें भी सीख सकते हैं। जो भी हो, कोई भी कांग्रेस कार्यालय तबतक अपने नामको सार्थक सिद्ध नहीं कर सकेगा, जबतक वह धुनाईकी सुविधाएँ अपने यहाँ सुलभ न कर पाये। एक अच्छा धुनिया हर कांग्रेस-कार्यालयके लिए उतना ही जरूरी है जितना एक ईमानदार मुन्शी या मुनीम।

बंगालमें खादी

श्री शंकरलाल बैंकरने बंगालमें खादीके कामके विषयमें जो टिप्पणियाँ भेजी हैं, उनका अनुवाद नीचे दे रहा हूँ। [१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २-४-१९२५

२४६. कुछ कठिन प्रश्न

एक मुसलमान वकीलने मुझसे कुछ प्रश्नोंके उत्तर माँगे हैं। मैं उन्हें दो प्रश्नोंमें से तर्कका अंश निकाल कर नीचे दे रहा हूँ:

आप श्री जिन्ना और उन-जैसे विचार-सरणीके मुसलमानोंकी इस मान्यतासे कहाँतक सहमत हैं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, उसमें हिन्दुओंका बहुत बड़ा बहुमत होने के कारण, अल्पसंख्यक मुसलमानोंके हितोंका पर्याप्त और उचित प्रतिनिधित्व और संरक्षण नहीं कर सकती; इसलिए मुस्लिम लीग-जैसी कोई एक अलग साम्प्रदायिक संस्था अत्यावश्यक है?

मैं नहीं मानता कि श्री जिन्नाका विचार जैसा आपने बताया वैसा है। मेरी रायमें कांग्रेस तो अपने जन्म-कालसे ही अपनी मर्यादाका खयाल छोड़कर भी मुसलमानोंका सहयोग ही नहीं बल्कि उनका कृपाभाव भी प्राप्त करनेके लिए प्रयत्नशील रही है। इसलिए लोगके अस्तित्वका औचित्य तो अन्य आधारोंपर ही ठहराया जाना चाहिए।

आप लाला लाजपतराय और पण्डित मदनमोहन मालवीय-जैसे प्रमुख हिन्दुओं और उन जैसी विचार-सरणीके लोगोंके इस विचारका समर्थन कहाँ तक करते हैं कि यद्यपि कांग्रेसमें हिन्दुओंका बहुत बड़ा बहुमत है फिर भी ऐसा नहीं माना जा सकता कि वह हिन्दू समाजके हितोंका प्रतिनिधित्व और संरक्षण कर सकती है, और इसलिए हिन्दू महासभा और 'संगठन' जैसी पृथक् साम्प्रदायिक संस्थाएँ हिन्दुओंके हितोंकी रक्षाके लिए नितान्त आवश्यक और अनिवार्य है?

१. यहाँ नहीं दिया जा रहा है।