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भाषण: कालीपरज परिषद्, वेडछीमें

नहीं हो सकता। जिस मनुष्यको दो हाथ और दो पैर हैं, वह तो स्वतन्त्र है। उसे दुःखी कौन कर सकता है?

आपके दुःखके दो कारण हैं। आप दारू और ताड़ी पीते हैं। दारूके व्यसनसे कितने दु:ख आते हैं, आप इसका एक उदाहरण हैं। कालीपरजके भाइयो और बहनो, अब तो एक नया समुदाय बन गया है[१] जो कहता है कि दारू न पीना पाप है। इस समुदायके लोग कहते फिरते हैं कि दारू न पियेंगे तो व्यसन न रहेगा और इससे व्यापार नष्ट हो जायेगा। आप लोग इनके जालमें न फँसें। मैं आपको यह याद दिला दूँ कि आप सभी लोगोंने दो वर्ष पहले यह प्रतिज्ञा की थी कि आप दारू नहीं पियेंगे। आप इसपर दृढ़ रहें। यदि कोई वैद्य आपसे यह कहे कि आप दारू नहीं पियेंगे तो मर जायेंगे, तो आप उसकी बात भी कदापि न सुनें। शरीर तो कभी-न-कभी नष्ट होना ही है। किन्तु प्रतिज्ञा तो अमर है। मैं मानता हूँ कि दारू न पीनेसे शरीर क्षीण हो जा सकता है। फिर भी आप एक बार दारू छोड़नेके बाद अपनी प्रतिज्ञा न तोड़ें। असंख्य लोग विभिन्न लालचोंमें पड़कर अनेक पाप करते हैं। यदि हम इससे मुक्त होना चाहते हैं तो हम जीवनको उज्ज्वल बनानेके लिए जिन बातोंको सूत्ररूप मानते हैं उनके पालनमें तनिक भी त्रुटि न करें। जैसे यदि हम दीवारमें कोई छेद रहने दें तो उसमें होकर जीव-जन्तु, चोर आदि घरमें घुस आते हैं उसी तरह हमने आत्माको सुरक्षित रखनेके लिए व्रतोंकी जो दीवार बनाई है उसमें यदि कोई छेद रहने देंगे तो उससे होकर पापका प्रवाह भीतर आ जायेगा और पीछे हम पछतायेंगे। इसलिए आप दारूसे दूर रहें। आपका कल्याण उससे बचने में ही है।

आपके अज्ञानका कारण आपकी निरक्षरता नहीं है। आप लिखना और पढ़ना जानते हैं या नहीं, यह बात महत्त्वकी नहीं है। आपमें से बहुत से पढ़ना नहीं जानते; किन्तु उनको अनुभवजन्य ज्ञान है। आप भोले हैं, इसलिए भटक जाते हैं। भोला होना तो अच्छा है। सरलता और भोलापन दिव्य गुण हैं। किन्तु एक बार सच्ची बात कह लेनेपर भोला मनुष्य उससे डिगता नहीं है। आप भोलेपनके कारण भूतों और प्रेतोंको भी मानते हैं। आप मेरी भी मानता मानते हैं। मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि यह एक भूल है। मेरी मानता माननेसे किसीको कुछ न मिलेगा। मेरी पूजा करनेसे भी आपको कोई लाभ न होगा। कल आपको कोई दूसरा भरमा लेगा और कहेगा कि अब आप अमुककी पूजा करें। कोई कहेगा कि आप दारू पियें। कोई आपसे मेरे नामपर चरखा चलाना बन्द करनेके लिए भी कह सकता है। तब आपकी क्या हालत होगी? आप अपने-आप शपथ लें कि आपको दारू छोड़नी ही है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मुझे अन्धविश्वासोंका आश्रय लेकर आप लोगोंको दारू छोड़नेके लिए उत्साहित करना चाहिए। किन्तु इस अन्धविश्वासोंसे भरे हिन्दुस्तानमें मुझे एक भी नया अन्धविश्वास नहीं बढ़ाना है। यदि आपमें कोई नया अन्धविश्वास उत्पन्न किये बिना आपका दारू पीना बन्द न हो सके तो कोई बात नहीं। मेरा कहना तो यह है कि आप जबतक सोच-समझकर दारू

 
  1. कालीपरजोंका एक नया दल; देखिए "टिप्पणियाँ", २५-१-१९२५ का उपशीर्षक " मद्यपान"।