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दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय

ठीक सम्भाल न करें और फलतः उनके खराब हो जानेसे चलनेकी शक्तिको खो बैठे। लेकिन अगर हम इस बातकी जानकारी होनेपर भी फेफड़ोंको नीरोग करनेका प्रयत्न करके और उसमें सफल होकर चलनेकी शक्ति प्राप्त न करें तो मूर्ख ही कहे जायेंगे। खादीके सम्बन्धमें भी हम ऐसा ही कह सकते हैं।

पत्र-लेखकका आशय यह है कि सभीको स्वराज्यवादी होना चाहिए। मैं तो इतना ही कह सकता हूँ कि कांग्रेस ऐसा नहीं सोचती। लेकिन खादीका कार्यक्रम किसीको भी स्वराज्य दलमें जानेसे रोकता तो नहीं है। सच्चा स्वराज्यवादी खादीभक्त तो हो ही सकता है, और उनमें आज भी बहुतसे खादी-भक्त मौजूद हैं। कांग्रेसने जो समझौता [१] मंजूर किया है उसमें यह बात निहित है कि खादीपर दोनों पक्षोंकी श्रद्धा है, और उसमें इस श्रद्धाकी व्याख्या भी की गई है। इसलिए कोई भी मनुष्य स्त्री हो या पुरुष चरखा चलाते हुए और दूसरोंको उसकी प्रेरणा देते हुए, स्वयं खादी पहनते हुए और दूसरोंसे खादी पहननेका अनुरोध करते हुए भी स्वराज्यवादी हो सकता है तथा अन्य लोगोंको भी स्वराज्यवादी बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

इस समय कांग्रेसमें बहुत कम सदस्य रह गये हैं; लेकिन इसका मुझे बिलकुल दुःख नहीं है। यदि कांग्रेसमें सिर्फ दस हजार अनन्य खादी भक्त हों तो वे कांग्रेस तथा देशकी जितनी सेवा कर सकते हैं, उतनी सेवा सिर्फ चार-चार आने देकर बैठ जानेवाले नाम-मात्रके लाखों सदस्य कभी नहीं कर सकते। बल्कि, बहुत सम्भव है कि अगर ऐसे सदस्य लाखोंकी संख्यामें हों तो किसी समयपर उनसे लाभके बजाय हानि ही हो।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ५-४-१९२५

२५९. दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय

जनरल स्मट्स दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंकी हिमायत कर रहे हैं, यह उन्हें शोभा देता है। किन्तु इससे भारतीयोंके कष्ट नहीं मिट सकते। वे तो बढ़ते जा रहे हैं। गोरे व्यापारी भारतीयोंके व्यापारको, उनके अस्तित्वको भी सर्वथा मिटा देना चाहते हैं। इसके लिए वे खुल्लमखुल्ला ट्रान्सवालमें बसे हुए भारतीयोंके व्यापारको हथियाना चाहते हैं। हिन्दुस्तान तो उनको सहायता देनेकी स्थितिमें है नहीं। सरकारने शर्म छोड़ दी है। वह यहाँके लोकमतकी कोई परवाह नहीं करती। केन्द्रीय परिषद्में मतदानका परिणाम कुछ भी हो, किन्तु सरकार जो मनमें आता है वही करती है। यहाँकी जनताका मत तो निश्चय ही दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके पक्षमें है। जो-कुछ यहाँ किया जाना चाहिए, वह अवश्य किया जायेगा। किन्तु दक्षिण आफ्रिकामें और अन्य देशोंमें बसे हिन्दुस्तानियोंको यह बता देना मेरा कर्त्तव्य है कि उनको अपनी शक्तिपर

१. देखिए खण्ड २५, पृष्ठ ५२६-२८।


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