पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/५०५

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आसान काम नहीं है। इस प्रकारके दस हजार कातनेवाले हमारे राष्ट्रीय जीवनमें क्रांति उत्पन्न करेंगे, और भारतके लाखों-करोड़ों कंगालोंके ज्योतिहीन नेत्रोंमें ज्योति जगायेंगे । ये दस हजार कतैये अवश्य ही स्वेच्छया • शब्दके पूरे अर्थ में -- कताई करनेवाले होने चाहिए। वे ऐसे क्षुधापीड़ित कतैये न हों जो आजीविकाके लिए सूत कातें । स्वार्थवश कातनेवाले भी शायद राष्ट्रके लिए अपना आधे घंटे का समय, बिना कुछ लिए दें। यदि वे बिना किसी अनुचित दबावके सूत कातें तो आवश्यकता मुझे उनकी भी है । किन्तु केवल खद्दरके वास्तविक वातावरणसे ही, ऐसे वातावरणसे जिसमें वाणी नहीं बल्कि कर्म हों, असहायावस्था नहीं बल्कि स्वावलम्बन हो, उक्त प्रकारके दस हजार कातनेवाले उत्पन्न होंगे और वे मध्यमवर्गके उन स्त्री-पुरुषोंमें से आयेंगे जो आज कांग्रेस संस्थामें हैं और उसे चलाते हैं । काठियावाड़में खद्दर काठियावाड़ में राजकीय परिषद्को कार्यकारिणीने खद्दरके प्रचारके बारेमें एक महत्त्वपूर्ण निर्णय किया है। उसने निश्चय किया है कि काठियावाड़के विभिन्न जिलोंसे रुई एकत्र की जाये और उसे कातनेवालोंको बाँटकर उनसे उसका सूत तैयार कराया जाये । उसे लोगोंसे ३०० मनसे अधिक रुई देनेके वचन प्राप्त हो चुके हैं । अब उसने इस कार्यके लिए ८०० मन रुई या उसके मूल्यके रूपमें १९,२०० रु० एकत्र करने- का निश्चय किया है । काठियावाड़ एक गरीब प्रायद्वीप है और उसमें बहुत कम वर्षा होती है। कुछ स्थानोंमें तो सदा दुर्भिक्षकी अवस्था रहती है। हजारों स्त्रियाँ अपनी स्वल्प आय में वृद्धि करनेके लिए चरखा चलानेकी इच्छुक हैं। वहाँ हजारों अछूत बुन- कर भी हैं जिन्हें अपना खानदानी काम न मिलनेसे मजबूर होकर बम्बई या अन्य स्थानों में जाना पड़ता है और वहाँ अपनी गुजर-बसर के लिए भंगीका काम करना पड़ता है । इस समय खद्दर उतना सस्ता नहीं है, जितना हो सकता है । इसलिए यह निश्चय किया गया है कि ऐसे परिवार ढूंढ़े जायें जो सस्ती पूनियाँ और सूतको कम दाम में बुनवा लेनेकी सुविधा मिलनेपर अपने कपड़ोंके लिए खुद सूत कातना चाहें। इस- लिए परिषद् ने इन परिवारोंको प्रोत्साहन देनेके लिए ६ आने प्रति पौण्ड रुई देनेकी जिम्मेदारी ली है । वह एक वर्षमें एक परिवारको १० पौंडसे अधिक रुई नहीं देगी और प्रत्येक परिवारको आधी बुनाई भी देगी। उपभोक्ताको खद्दरकी कीमत एक तिहाईसे कुछ ज्यादा अर्थात् काठियावाड़ में सामान्यतः प्रचलित दर नौ आनेके बजाय सवा तीन आने प्रति गजके हिसाबसे चुकानी पड़ेगी। इस प्रकार उन्हें कताई करने और खद्दर पहननेके लिए प्रोत्साहित करनेके लिए ५० प्रतिशत आर्थिक सहायता मिल जायेगी । इसे दूसरे शब्दोंमें इस प्रकार कह सकते हैं कि १९,००० रु० की रुईसे २,७५० परिवारोंको जिनमें से प्रत्येकमें पति, पत्नी तथा एक बच्चा शामिल हैं, कपड़ा उपलब्ध करनेकी योजना है। कपासकी लुढ़ाईसे लेकर कपड़ा बुने जानेकी अवस्थातक लोगोंको इस तरह मजदूरी मिलेगी; T ओटाई घुनाई ८०० मन ८०० मन १,००० रु० ४,००० रु०