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टिप्पणियाँ

होनेका वैसा ही अधिकार है जैसा क श्रेणीके सदस्योंको अर्थात् स्वयं कातनेवालोंको। किन्तु मैं इस प्रकारकी भरतीको प्रोत्साहन नहीं दूँगा। यदि मैं अनुयाचक होता तो मैं केवल क श्रेणीके सदस्योंको भरती करनेके लिए पूरा जोर लगाता; किन्तु यदि लोग दूसरी श्रेणियोंमें भरती होनेके लिए स्वयं कहते तो उन्हें सहर्ष भरती करता।

दूसरा प्रश्न यह है:

तिरुपुर, पुदुपालयम्, तेन्तिरुपिरेय, अधिराम पटनम्, कल्ल कुरुच्चि आदि स्थानोंमें बहुत-सी स्त्रियाँ ऐसी हैं जो अपनी आजीविकाके लिए सूत कातती हैं। क्या आपके विचारसे वे कांग्रेसकी एक वर्गकी सदस्या बना ली जानी चाहिए? हाँ, इससे पहले उन्हें यह बता दिया जाये कि कांग्रेसकी सदस्या बन जानेके फलस्वरूप वे आधा घंटा अतिरिक्त कताई करके अपना श्रम केवल राष्ट्रके भिक्षा पात्रमें डालेंगी। केवल श्रमकी बात मैं इसलिए कहता हूँ कि कांग्रेस कमेटी उन्हें २,००० गज सूत कातने-भरकी मुफ्त रुई दिया करे, ऐसा मेरा प्रस्ताव है।

यदि ये बहनें यह समझ लें कि कांग्रेस क्या है और खद्दर पहनें तो मैं चाहता हूँ कि वे अवश्य सदस्य बना ली जायें।

तीसरा प्रश्न यह है:

बेलगाँवके प्रस्तावके अनुसार हाथ-कताईको तथा हाथ-कताई करनेवालोंको कांग्रेसके सदस्य बननेको प्रोत्साहित करने के लिए वैतनिक प्रचारकोंकी नियुक्तिके बारेमें आपकी सलाह क्या है?

जहाँ पैसा हो वहाँ वैतनिक कार्यकर्त्ताओंकी नियुक्ति अवश्य की जा सकती है। इसके लिए पैसा, रुई माँग-माँगकर एकत्र करना चाहिए।

चौथा प्रश्न यह है:

कुछ लोग कताई शुरू करने से पहले यह शर्त रखते हैं कि चरखे और यहाँतक कि रुई भी बतौर कर्जके दी जाये। कर्ज तो मेरे अनुभवके अनुसार उचित हिसाब-किताबके तथा संग्रह करनेवाले अधिकरणके अभावमें उपहारका रूप ले लेता है--मुझे कहना होगा कि इनमें कुछ लोग वास्तवमें गरीब हैं। क्या आप उनकी इस प्रार्थनाको माननेकी सलाह देते हैं? यदि देते हैं तो किन शर्तोंपर?

चरखा आदि चीजें जब कभी आवश्यकता पड़े दे देनी चाहिए और उन सबकी वापसीके लिए उपयुक्त जमानत ले लेनी चाहिए। चरखा तो किश्तोंपर भी बेचा जा सकता है।

हासिल करना

एक मित्र लिखते हैं:

आपने सदैव यह उपदेश दिया है कि स्वराज्य प्रयाससे लिया जाना चाहिए, दानके रूपमें नहीं। यह सोचकर कि आपको इसमें दिलचस्पी होगी, मैं