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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

डैनियलकी लाइफ ऑफ वूड्रो विल्सन' पुस्तकसे इसी आशयका निम्न अनुच्छेद भेज रहा हूँ।

"उसका (विल्सनका) विचार यह है कि जनतन्त्री सरकार स्थापित करनेके लिए साधन अन्दरसे प्राप्त होता है, बाहरसे नहीं, वह नैतिक शक्तिसे मिलता है, शारीरिक बलसे नहीं।"

उसने कहा है, "मैंने जब भी संसारका इतिहास पढ़ा है यही देखा है, कि संसारमें बड़ीसे-बड़ी शक्तियाँ और स्थायी रहनेवाली शक्तियाँ नैतिक शक्तियाँ ही होती हैं।"

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९-४-१९२५

२६६. गोरक्षा

आपको याद होगा कि स्थायी तौरपर अखिल भारतीय गोरक्षा संगठनकी संस्थापनाके लिए एक संविधान तैयार करने के उद्देश्यसे बेलगाँवके गोरक्षा सम्मेलनमें एक समिति नियुक्त की गई थी। प्रस्तावके परिणामस्वरूप समितिकी बैठक जनवरीमें दिल्लीमें हुई और उसमें संविधानका मसविदा हिन्दीमें तैयार किया गया। [१] वह यथा समय साधारण सभाको बैठकमें पेश किया जायेगा। उसका अनुवाद नीचे दिया जाता है। [२]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९-४-१९२५

२६७. एक क्रान्तिकारीके प्रश्न


मैंने किसी पिछले अंकमें एक क्रान्तिकारी सज्जनके प्रश्नोंका [३] उत्तर देने की कोशिश की थी। उन्होंने मेरे उत्तरोंसे उत्पन्न कुछ प्रश्न फिर उठाये हैं और मुझे उनका उत्तर देनेका आह्वान किया है। मैं उनका आह्वान खुशीसे मंजूर करता हूँ। ऐसा मालूम होता है कि वे भी मेरी तरह प्रकाशकी खोजमें हैं। उनके तर्क उचित होते हैं और उनमें अधिक आवेश नहीं होता। जबतक वे शान्तचित्तसे अपना पक्ष प्रस्तुत करते रहेंगे तबतक मैं यह चर्चा जारी रखूँगा। उनका पहला सवाल यह है:

क्या आप वाकई यह मानते हैं कि भारतके क्रान्तिकारी स्वराज्यवादियों, नरमदलियों तथा राष्ट्रवादियोंकी अपेक्षा कम स्वार्थत्यागी, कम उदात्त या कम

१. मूल हिन्दी पाठ उपलब्ध नहीं है।

२. देखिए "अखिल भारतीय गोरक्षा-मण्डलके संविधानका मसविदा", २४-१-१९२५।

३.देखिए। एक क्रान्तिकारीका बचाव", १२-२-१९२५।