पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/५१५

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२६८. सन्देश : 'देश' के नाम

[ १२ अप्रैल, १९२५ से पूर्व ] इस समय जो कार्य मैं कर रहा हूँ वह सत्याग्रहसे ज्यादा अच्छा है। हालाँकि यह सच है; लेकिन लोगोंको इसका एहसास कराना मुश्किल है। सत्याग्रहका अर्थ आम सविनय अवज्ञासे है; लेकिन पहले हमें कानून-भंग करनेकी क्षमताको भी बढ़ाना चाहिए। इस समय मैं देशमें वही क्षमता बढ़ानेकी कोशिश कर रहा हूँ । सूत कातना और खद्दर पहनना इस प्रयासका अभिन्न अंग है । इन दोनोंके बिना सविनय अवज्ञाको आरम्भ करना हमारे लिए असम्भव है । देशके सब नेताओंसे मेरी प्रार्थना है कि वे दिनमें कमसे-कम आधा घंटा सूत कातें और खद्दर पहननेकी आदत डालें । [ अंग्रेजीसे ] आनन्द बाजार पत्रिका, १२-४-१९२५

२६९. काठियावाड़ियोंसे

इस बार काठियावाड़ राजनीतिक परिषद्की कार्य समितिकी बैठक अमरेली में हुई। उसमें छब्बीस सदस्य उपस्थित थे । बैठक दो बार हुई और कुल छः घंटे चली। उसमें अत्यन्त महत्त्वपूर्ण निर्णय हुए। ये इस प्रकार हैं : १. जो व्यक्ति अथवा परिवार अपने हाथोंसे काते सूतका कपड़ा पहनना स्वीकार करे, उसे दस सेरतक पूनियाँ आधे दामपर दी जायें और वह जितना सूत काते उसे आधी बुनाईपर बुनवा कर देनेकी व्यवस्था की जाये । निम्नलिखित सदस्योंने नीचे बताई गई संख्या में ऐसे खादीधारी तैयार करनेकी जिम्मेदारी ली है : खादीधारी श्री शिवजी देवशीभाई श्री रामजीभाई हंसराज श्री छोटालाल त्रिभुवनदास श्री देवचन्द उत्तमचन्द पारेख श्री जगजीवनदास नारणजी मेहता श्री मणिलाल परमानन्ददास -५०० १,००० १०० १,००० १०० ५० १. मूल सन्देश राष्ट्रवादी बंगला- साप्ताहिक 'देश' में प्रकाशित हुआ था, यहाँ इसका अनुवाद अंग्रेजीसे किया गया है ।