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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गांधीजीको इस कामके लिए ८०० मन रुई अथवा उसकी कीमत १९,२०० रुपया इकट्ठा करके देनी चाहिए। इसमें जो रकम अबतक इकट्ठी की जा चुकी है वह अबतक खर्च किये हुए १,००० रुपये काट कर बाकी मुजरा दी जाये।

फिर, इस कामके लिए जिस भाईको महामन्त्रियोंसे जितनी रुई मिले उसका हिसाब वह उनकी इच्छाके अनुसार रखे और उनको भेजे।

मताधिकार-सम्बन्धी प्रस्ताव

२. परिषद्के सदस्य नीचे बताई गई संख्यामें अतिरिक्त सदस्य बनाना स्वीकार करते हैं:

श्री छोटालाल त्रिभुवनदास, २५१ सदस्य (प्रत्येक सदस्यके एवजमें ३ सेर रुई देंगे)

श्री शिवजीभाई देवशीभाई,१५१ सदस्य (रुई नही देंगे)

श्री रामजीभाई हंसराज, १०१ सदस्य (रुई नहीं देंगे)

श्री जगजीवनदास नारणजी, १५१ सदस्य (रुई नहीं देंगे)

श्री शिवानन्द, १०१ सदस्य (रुई एवजमें देंगे)

मताधिकारका काम करनेवाले भाइयोंको तैयार सूत बुनवाकर उसकी खादी लागत मूल्यपर बेचनेका अधिकार है। अगर वे उसे न बुनवा सकें तो मुख्य कार्यालयमें भेज दें।

अगर बढवान, मढडा और अमरेलीके खादी कार्यालय अपनी तैयार की हुई खादी खुद न बेच सकें तो परिषद् उसे लागत मूल्यपर (जिसमें व्यवस्था-खर्च १२ प्रतिशतसे ज्यादा न होगा) खरीद ले।

इन प्रस्तावोंमें खादी और चरखेके प्रचारके तीन उपाय बताये गये हैं। इनमें पहला और सर्वश्रेष्ठ उपाय है खुद सूत कातकर और उसका कपड़ा बुनवाकर पहननेवाले परिवार तैयार करना; दसरा है नियमित रूपसे रोज आधा घंटा कताई करनेवाले और बाजारसे खरीदकर खादी पहननेवाले सदस्य बनाना; और तीसरा है खुद कताई करके खादी पहननेवाले लोगोंके अलावा खादी पहननेवालोंके लिए खादी तैयार कराना।

इनमें से अन्तिम दोनों उपाय, यद्यपि वे महत्त्वपूर्ण हैं, फिर भी उनपर विचार करनेकी जरूरत नहीं है। लेकिन पहले उपायपर विचार करना जरूरी है। यह खादी-प्रचारका सबसे अच्छा उपाय है। पर इसमें कुछ खर्च पड़ता है। "कुछ" इसलिए कह रहा हूँ कि उसका जो परिणाम प्रकट होगा उसके अनुपातमें यह रकम बहुत छोटी है। योजना यह है कि १९,२०० रुपये खर्च करके सूत कातने और खादी पहननेवाले २७५० परिवार तैयार किये जायें। इन २७५० परिवारोंमें से हर परिवारमें अनुमानत: पति-पत्नी और एक बच्चा होगा। इस प्रकार इनमें कुल ८२५० लोग होंगे। यह तो इसका प्रत्यक्ष लाभ है। दस सेर पूनियोंका जितना सूत तैयार होगा उससे इतना कपड़ा बन जायेगा कि उसे तीन प्राणियोंका एक परिवार सालभर पहन सकेगा। इस तरह एक वर्षतक खादी पहननेवालोंमें खादीके प्रति प्रेम उत्पन्न करनेकी खास जरूरत ही न रहेगी।