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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी नहीं।" बस, फिर आपको भूतों और प्रेतोंसे भी डरनेकी कोई जरूरत नहीं बचेगी। राम आपसे नारियल नहीं माँगता। वह तो आपके भावका भूखा है। वह सभीके हृदयोंमें बैठा है। आप उसे पहचानें। यह घड़ी टिक-टिक कर रही है। किन्तु राम कोई भी शब्द नहीं करता। राम आप सबका कल्याण करे।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ७

९. पत्र: मथुरादास त्रिकमजीको

सरभोण
पौष बदी ९ [१९ जनवरी, १९२५][१]

मैं ब्रह्मचर्य पालनके सम्बन्धमें किसीपर भी दबाव नहीं डालता, बल्कि तटस्थ रहता हूँ। यह बात मेरे गले नहीं उतरती कि बालक जब युवावस्थाको प्राप्त कर लें तब उनके विवाहकी व्यवस्था करना माता-पिताका कर्त्तव्य होता है। मैं यह अवश्य मानता हूँ कि इस सम्बन्धमें माता-पिताको उनकी सहायता करनी चाहिए।

[गुजरातीसे]
बापुनी प्रसादी

१० टिप्पणियाँ

पच्चीस हजार नहीं

मौलाना जफर अली खाँ[२] ने नीचे लिखा तार भेजा है:

लाहौर वापस पहुँचने पर मैंने यहाँके अखबारोंमें 'यंग इंडिया' के आधार पर यह खबर पढ़ी कि मैंने आपसे इस सालके भीतर २५,००० सूत कातनेवाले मुसलमान कांग्रेस कार्यकर्ता देनेका वादा किया है। मुझे अन्देशा है कि इसमें कोई गलतफहमी हुई है। शायद मेरे शब्द भावको ठीक-ठीक व्यक्त नहीं कर सके। मैंने तो सिर्फ इतना ही वादा किया था कि मैं आपकी पदावधि समाप्त होनेतक १०,००० मुस्लिम स्वयंसेवक आपकी खिदमतमें पेश करनेकी पूरी कोशिश करूँगा, और मैं इस वादेपर कायम हूँ।

इस तारको मैं सहर्ष प्रकाशित कर रहा हूँ। जहाँतक मेरा ताल्लुक है किसी किस्मकी गलतफहमी नहीं हुई। मौलाना साहबके वादेपर मुझे इतना ताज्जुब हुआ था कि मैंने मौलाना साहबको अति आशावादी न बननेके लिए चेताया भी था। पर वे अपनी बातपर दृढ़ रहे और यह वादा था भी ऐसा कि जो सर्वसाधारणसे छिपाकर नहीं रखा जा सकता था। यह वादा तो एक बिन माँगा मोती था। और फिर कोई

 
  1. साधन-सूत्रके अनुसार।
  2. पंजाब खिलाफत समिति के अध्यक्ष।