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भाषण: कराडीमें

तबतक में संघर्ष कदापि बन्द न करूँगा। यदि आप लोग अपनेको सत्याग्रही कहना चाहते है तो मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप लोग आपसमें एक हो जायें, चरखको अपनायें और अस्पृश्यताका त्याग करें। यदि आप इतना कर लें तो आपकी जीत निश्चित है।

गांधीजीने इसके बाद भाषणका सार अंग्रेजीमें बताते हुए कहा कि मेरा मत है कि हिन्दू-मुस्लिम एकता, चरखा तथा अस्पृश्यता निवारणके बिना स्वराज्य नहीं मिलेगा। इन तीन बातोंके बिना स्वराज्य कदापि नहीं मिल सकता। सत्याग्रहका अर्थ है सत्य, शान्ति और अहिंसापर दृढ़ रहना और इनके बिना यह सत्याग्रह नहीं किया जा सकता। इन तीन बातोंके बिना एक तरहका सत्याग्रह किया तो जा सकता है; किन्तु जिस सत्याग्रहकी कल्पना में करता हूँ उसके लिए ये तीनों बातें अपरिहार्य हैं।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १४-४-१९२५


२७६. तार: हरिहर शर्माको

[१५ अप्रैल, १९२५ या उसके पश्चात्][१]

बंगाल जा रहा हूँ। बाजपेयीको फिर लिख रहा हूँ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२९३) की माइक्रोफिल्मसे।

२७७. भाषण: कराडीमें

१५ अप्रैल, १९२५

सभामें जो शान्ति है उसे देखकर मुझे आश्चर्य और हर्ष होता है। इस समय मेरी बोलनेकी शक्ति कुछ कम हो गई है; इसलिए मैं ऊँची आवाजमें बोलने में असमर्थ हूँ। ऐसी स्थितिमें आप सब इतने शान्त भावसे बैठे हैं, इससे मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। मजीरोंके साथ बच्चोंने जो हरिनाम कीर्तन किया वह मुझे अच्छा लगा है। मजीरोंकी खूबी तो वही जान सकता है जो भजन कीर्तनोंमें गया हो; मैं उनका महत्व अच्छी तरह समझता हूँ।

१. यह तार हरिहर शर्माके उस तारके उत्तरमें दिया गया था जो उन्होंने १५ अप्रैल, १९२५ को मद्राससे भेजा था। तार इस प्रकार था: "सम्मेलनका अपने नाम रुपये जमा करनेका आग्रह। इसपर मतभेद है। दूसरे मामलोंसे भी स्थिति विषम। निश्चित समझौता जरूरी। यह तार दें, आपसे कब मिलूँ। स्थगन हानिकर।"