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२८२. सफाई[१]

सम्पादक
'यंग इंडिया'
अहमदाबाद
महोदय,

आपके प्रतिष्ठित पत्रमें त्रावणकोरसे सम्बन्धित एक लेखमें [२] श्री मो० क० गांधी मद्यपानकी बुराईके बारेमें कुछ तथ्य और आँकड़े पेश करते हुए लिखते हैं:

"यह साफ जाहिर है कि राज्यकी सरकार इस निरन्तर बढ़ती आयसे अगर प्रसन्न नहीं है तो वह उसे एक दार्शनिककी भाँति शान्त भावसे अवश्य देखती है।"

मुझे लगता है कि उपर्युक्त कथन सर्वथा निराधार है।...मैं केवल तथ्य सामने रखूँगा।...ये तथ्य सरकारी तथा गैर-सरकारी व्यक्तियोंकी एक समितिकी गत सप्ताह प्रकाशित रिपोर्टसे लिये गये हैं। यह समिति महाराजाकी सरकारने ऐसे सुझाव देने के लिए नियुक्त की थी जिनपर चलकर सरकार धीरेधीरे और सुगमतासे अपनी शराबबन्दी की घोषित नीतिको सफल बना सके।...शराब पीनकी लतको कम करने के लिए किये गये उपायोंके बारेमें और अधिक विवरण जानने के लिए ३१ मार्च, १९२५का 'टाइम्स ऑफ इंडिया' पढ़ें।

एक त्रावणकोर निवासी

यह बात नहीं कि मैं ऐसी सफाईके लिए तैयार नहीं था। लेकिन मुझे कोई पश्चात्ताप नहीं हुआ है। मैंने त्रावणकोर-प्रशासनकी मुक्त कंठसे प्रशंसा की है। किन्तु उसकी आवकारी नीतिके बारेमें ऐसी कोई सफाई नहीं दी जा सकती। उद्धत अंश ऐसे लगते हैं मानो ब्रिटिश प्रशासनको रिपोर्टोके अंश हों। शराबका मामला इतना उपेक्षणीय मसला नहीं। इस बहत बड़ी बुराईको दूर करने में नरम और शिथिल नीति कारगर नहीं हो सकती। जनताको पूर्णत: मद्य-निषेधके अतिरिक्त अन्य किसी भी उपायसे इस अभिशापसे छुटकारा नहीं मिल सकता।"

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया,१६-४-१९२५

१. अंशत: उद्धृत।

२. देखिए "त्रावणकोरके बारेमें", २६-३-१९२५।