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भाषण: भड़ौंचकी सार्वजनिक सभामें

मैं परिस्थितिवश राजनीतिमें पड़ा हूँ। यद्यपि मित्र कहते हैं कि मैं राजनीतिके अयोग्य हूँ, क्योंकि मैं खादी, मद्य-निषेध और ऐसी ही अन्य बातोंपर जोर देता हूँ, जिनका राजनीतिसे बहुत कम सम्बन्ध है। किन्तु क्या मुझे इसका भी ज्ञान नहीं है कि सड़कें बहुत ही अच्छी होनी चाहिए? मैं अपने मनमें जानता हूँ कि सड़कोंकी खराब हालत देखकर स्थानीय निकायको कितने लोग गालियाँ देते होंगे। जितने मन धूल मेरे हिस्से में आती है उतनी आपके हिस्से में नहीं आती होगी; फिर भी आज तो मैं यहाँकी धूलसे त्रस्त हो गया। मैंने मार्गमें ही यह निश्चय कर लिया था कि मैं आज इस बारेमें कुछ कहूँगा। किन्तु यदि मैं यह बात कहूँ तो आप उत्तर देंगे कि सरकारने हमारी तिजोरी खाली कर दी है। यदि आप कहें कि मैं सरकारसे लड़कर आपकी तिजोरीको फिर भरवा दूँ तो आपका यह कथन उचित नहीं कहा जायेगा। आपको स्वयं सरकारसे जोर देकर कहना चाहिए। यदि सड़कें अच्छी हों तो आपको, मुझे और सभीको कितना आराम मिले? आप नालियोंके सम्बन्धमें कितनी जिम्मेदारीसे काम करते हैं, यह मैं नहीं जानता। इसके अतिरिक्त अधिकांश लोग तो किसान हैं। इसलिए इनको जो शिक्षा दी जाती है वह ऐसी होनी चाहिए जो खेतीके धन्धेमें उपयोगी हो। लिखना और पढ़ना सीख लेना ही काफी नहीं हो सकता। एक व्यक्तिने मुझसे यह कहा था कि बच्चोंको जो शिक्षा दी जाती है, वह सब व्यर्थ जाती है। शिक्षाके सम्बन्धमें इन सब प्रश्नोंका विचार करना शिक्षा मन्त्रीका ही काम नहीं है। केवल मन-ही-मन विचार करके वह इनके उत्तर नहीं ढूँढ़ सकता। इस सम्बन्धमें आप जितना करें उतना कम है। आपने अपने मानपत्रमें मेरे लिए जिन टोकरी-भर विशेषणोंका उपयोग किया है, उनका यही उत्तर दिया जा सकता है।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ७

२९१. भाषण: भड़ौंचकी सार्वजनिक सभामें

१८ अप्रैल, १९२५

देशमें उत्साह नहीं है, इसका कारण चाहे जो हो, किन्तु यदि लोग कहते हैं कि दोष किसी दूसरेका नहीं, आपका ही है क्योंकि आपने ऐसा कार्यक्रम प्रस्तुत किया है, जिसे कोई कार्यान्वित नहीं कर सकता तो मैं इस बातको स्वीकार कर लूँगा। किन्तु मेरे पास तो दूसरा कोई उपाय ही न था। यदि कोई बीमार डाक्टरको बुलाये और डाक्टर सभी उचित साधनों और औजारोंके प्रयोगकी बात कहे; किन्तु बीमार उनका प्रयोग करनेसे इनकार करे तो क्या डाक्टर असफल नहीं हो जायेगा? और जैसे बीमार फिर भी उसी डाक्टरसे चिपटा रहे, ठीक ऐसा ही व्यवहार मेरे साथ किया जा रहा है। आपको मेरे साधन नहीं चाहिए; आप मझे बुलाते हैं, मेरे भाषण सुनना चाहते हैं, किन्तु मेरे सुझाये उपाय काममें लाना नहीं चाहते। मेरी स्थिति ऐसी विषम है। चन्दूलालने बताया कि भड़ौंचके लोग स्नेही हैं। स्नेही तो वे हैं, किन्तु