२९३. पत्र: कल्याणजी वि० मेहताको
चैत्र बदी १२ [२० अप्रैल, १९२५][१]
साथमें प्रागजीका [२] पत्र है जो पार्वतीको [३] और मुझे लिखा गया है। पार्वतीका उत्तर और मेरा पत्र भी मुझे लौटा देना, ताकि मैं प्रागजीको प्राप्ति-स्वीकृति भेज सकूँ। यदि प्रागजीको कोई बात और कहनी हो तो वह भी मुझे लिखना। क्या तुम उनसे मुलाकात करने जा रहे हो?
बापूके आशीर्वाद
गुजराती पत्र (जी० एन० २६७५) की फोटो-नकलसे।
२९४. पत्र: ब्रजकृष्ण चाँदीवालाको
चैत्र कृष्ण १२ [२० अप्रैल, १९२५][४]
तुमारा खत मीला। मुझको बहोत अच्छा लगा। उसी खतपर से मैं दिल्हीके बारेमें कुछ लीखुंगा। तुम शांत चित्त होंगे।
बापुके आशीर्वाद
मूल पत्र (जी० एन० २३४९) से।
१. इन दिनों प्रागजी खण्डूभाई देसाई जेलमें थे।
२. दक्षिण आफ्रिकाके दिनोंसे गांधीजीके साथी।
३. प्रागजीकी पत्नी।
४. दिल्लीके विषयमें लिखनेके उल्लेखसे लगता है कि यह पत्र १९२५ में ही लिखा गया होगा। देखिए "दिल्लीमें खादी",२३-४-१९२५।