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२९५. तार[१]

[२१ अप्रैल, १९२५ या उससे पूर्व]

मुझे मलेरिया हो गया था लेकिन अब पहलेसे अच्छा हूँ। आशा है नागपुर मेलसे पहली मईको कलकत्ता [२] पहुँचूँगा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २१-४-१९२५

२९६. टिप्पणियाँ

वाइकोम

पाठकोंको यह जानकर खुशी होगी कि त्रावणकोर सरकारने श्रीयुत करुर नम्बूद्रीपादको रिहा कर दिया है और श्रीयुत रामास्वामी नायकरके विरुद्ध जारी की गई निषेधाज्ञाको वापस ले लिया है। मुझे यह भी मालूम हुआ कि त्रावणकोर सरकार मेरे और पुलिस आयुक्तके बीच हुए समझौतेको अमलमें लानेवाली है। इस सुधारके प्रति, जो कि बहुत पहले हो जाना चाहिए था, त्रावणकोर सरकार जो प्रशंसनीय उत्साह दिखा रही है उसके लिए मैं उसे बधाई देता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि अस्पृश्योंको मन्दिरके आसपासके सार्वजनिक रास्तोंपर जानेकी जो मनाही है, उसे जल्दी ही समाप्त कर दिया जायेगा। मुझे सत्याग्रहियोंको यह याद दिलानेकी कोई जरूरत नहीं है कि उनके लिए समझौतेका अक्षरशः पालन करना कितना आवश्यक है।

फिर बंगाल

मैं बंगाल यात्राकी बड़ी आशाके साथ प्रतीक्षा कर रहा हूँ। बंगालकी कल्पनाशक्ति सर्वोत्कृष्ट है। बंगाली युवक कुशाग्र बुद्धि होते हैं। वे आत्मत्यागी भी होते हैं। बंगालके हर प्रान्तसे जो पत्र मुझे मिले हैं, वे बड़े लुभावने हैं। काश, मेरा स्वास्थ्य ऐसा होता कि मैं सफरकी सारी थकानको बरदाश्त कर पाता। काठियावाड़के सफरमें मुझे मियादी बुखार हो गया था जो अब ठीक हो गया है, फिर भी उसने मुझे बहुत कमजोर बना दिया है। रवाना होनेके लिए अभी ९ दिन बाकी हैं और मैं आशा करता हूँ कि इतने समयमें मुझमें काफी शक्ति आ जायेगी। परन्तु व्यवस्थापकोंसे मेरा अनुरोध है कि वे मेरा रोजका कार्यक्रम यथासम्भव हल्का रखें। मैं यह फिर कहता हूँ कि मेरी इच्छा है कि यह यात्रा पूरी तरह सुव्यवस्थित हो।

१. यह साबरमतीसे कलकत्ताको दिया गया था।

२. फरीदपुरमें होनेवाले बंगाल प्रान्तीय सम्मेलनके सिलसिलेमें।