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३०१. आन्ध्रमें खद्दर

मैंने अपने पिछले लेखोंमें बताया है कि खद्दर आन्दोलन धीरे-धीरे किन्तु निश्चित गतिसे गाँवोंमें प्रवेश कर रहा है। मैं नैलोर जिला खादी-मण्डलकी रिपोर्टके निम्न उद्धरण देता हूँ: [१]

कातनेवालोंको ध्यान देना चाहिए कि नैलोरकी स्त्रियाँ कितनी सावधानीसे पूनियाँ तैयार करती हैं। अच्छी धुनाई करना और फिर अच्छी पूनियाँ तैयार कर लेना कताईका आधा मैदान मार लेना है।

ओंगोलसे प्राप्त निम्नलिखित अंश भी इतना ही दिलचस्प है: [२]

ऊपर जो दिया गया है वह कम्पनी द्वारा [३] चुने गये पाँच गाँवोंमें किये जानेवाले कार्यकी ब्यौरेवार रिपोर्टका केवल एक अंश है। समीक्षित अवधिके [४] बीच कुल उत्पादन १८,५२२ गज हुआ और बिक्री १३,४५२-१२-१ रु० की हुई।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २३-४-१९२५

३०२. पत्र: अब्बास तैयबजीको

तिथल
२३ अप्रैल, १९२५

प्रिय भुरी,

हाँ, मुझे ५ दिनतक बुखार रहा, लेकिन मैं अब स्वस्थ हूँ। अभी कुछ कमजोर हूँ, इसलिए मैं आज सुबह ठण्डी हवा खाने पाँच दिनके लिए यहाँ तिथल आ गया हूँ। २८को मैं बम्बई पहुँचूंगा, और २९को ५ सप्ताहके दौरेपर बंगाल जाऊँगा। हाँ, उस घटनाके बारेमें मैंने वल्लभभाईसे सुना था। जीवनमें ऐसी घटनाएँ घटती ही रहेंगी। यह देवासुर संग्राम, मनुष्यकी सद्प्रवृत्ति और दुष्प्रवृत्तिका द्वन्द्व शाश्वत रूपसे चलता ही रहता है।

तुम सबको प्यार

आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ९५५२) की फोटो-नकलसे।

१ व २. यहाँ उद्धृत नहीं किये गये हैं।

३. खद्दरके उत्पादन और बिक्रीके कामके लिए।

४. जुलाई, १९२४ से दिसम्बर, १९२४ तक।