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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हो मैं उन्हें इन मदरसोंमें जाने और इस बातका पता खुद लगानेको आमंत्रित करता हूँ कि वे बालक किस प्रकार कार्य कर रहे हैं। जब गुजरात विद्यापीठने शालाओंमें अछूत लड़कोंको भरती करनेका आग्रह किया तब इनकी हालत बहुत विषम हो गई थी। पर शिक्षकोंने तूफानका सामना हिम्मतके साथ किया। कुछ लड़के वहाँसे चले भी गये; किन्तु मदरसे बहुत अच्छी तरह चल रहे हैं। वराडमें जिन माता-पिताओंने अछूतोंके लड़कोंके भरती हो जानेके कारण अपने लड़के हटा लिये थे, उन्होंने अब फिर उनको राष्ट्रीय पाठशालाओंमें भेजना अंगीकार किया है। यदि राष्ट्रीय शालाओंके शिक्षक और व्यवस्थापकगण नम्रता, मृदुता और सहिष्णुताका अवलम्बन करते हुए दृढ़तासे काम लें तो कांग्रेसकी व्याख्याके कारण राष्ट्रीय संस्थाओंको क्षति पहुँचनेकी आशंका न रहेगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २२-१-१९२५

११. एक अपील

पाठक साप्ताहिक टिप्पणियोंके स्तम्भमें भी कालीपरजके बारे में कुछ पढ़ेंगे। गुजरातके बाहर बहुतेरे लोग शायद नहीं जानते कि कालीपरजके माने क्या है। 'कालीपरज' का अर्थ है 'काले लोग'। यह नाम गुजरातके कुछ लोगोंको उन लोगों द्वारा दिया गया है जो अपनेको उनसे ऊँचा और श्रेष्ठ मानते हैं। रंगकी हदतक कालीपरज जातिके लोग दूसरे लोगोंसे ज्यादा काले या अलग नहीं हैं। पर आज वे दलित, असहाय, अन्धविश्वासी और कायर हैं। शराब पीनेकी उन्हें भीषण लत लगी हुई है। बड़ौदा राज्यमें उनकी आबादी बहुत ज्यादा है।

तीन वर्ष पहले इन्हीं लोगोंमें जबरदस्त जागृति हुई। हजारों लोगोंने शराब पीना और मांस खाना भी छोड़ दिया था। शराबके दूकानदारोंको यह बात बड़ी खली। दूकानदारोंमें ज्यादातर लोग पारसी थे। कहते हैं कि इन लोगोंने उन्हें फिरसे शराब पीनेकी ओर प्रवृत्त करने में कुछ उठा नहीं रखा, और बहुत हदतक उन्हें सफलता भी मिली। कहते हैं कि सरकारी अधिकारी भी सधारकोंके खिलाफ इस साजिशमें शामिल हए। और अब चाहे इन कोशिशोंके फलस्वरूप हो, चाहे किसी कारणसे, इन लोगोंमें एक ऐसा दल पैदा हो गया है, जो उन्हें उपदेश देता है कि शराब न पीना पाप है और जातिसे बाहर करके तथा दूसरे तरीकोंसे वे उन लोगोंकी हिम्मत और उमंगको तोड़ रहे हैं, जो अपने-आपसे और इस बुरी आदतके खिलाफ लड़ने में लगे हैं जो पीढ़ियोंसे उनके बीच घर किये हुए है।

कालीपरजकी सभाका जिक्र[१] मैंने अन्यत्र सविस्तार किया ही है। उसमें एक प्रस्ताव यह भी पास हुआ है कि बड़ौदा, धरमपुर और वांसदाकी रियासतों तथा अंग्रेज

 
  1. देखिए "टिप्पणिया", २२-२-१९२५ का उपशीर्षक 'कालीपरज