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३१६. भेंट: 'न्यू इंडिया' के प्रतिनिधिसे

बम्बई
२९ अप्रैल, १९२५

'न्यू इंडिया के विशेष संवाददाताके भारत राष्ट्रमण्डल विधेयक (कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल) के सम्बन्धमें भेंट करनेपर गांधीजीने कहा:

मैं चाहता था कि डा० एनी बेसेंटका 'भारत राष्ट्रमण्डल विधेयक' उचित सावधानी और ध्यानसे देख पाता। किन्तु उसका जैसा कुछ अध्ययन मैं कर सका हूँ उससे मैंने निम्न परिणाम निकाले हैं। लगता है उसमें सम्राट्को राष्ट्रमण्डलके सर्वोच्च अधिकारी तथा संरक्षकके रूपमें स्वीकार करना एक अनिवार्य शर्त मान ली गई है। मैं इससे सहमत नहीं हूँ।

मैं इस बातको मानता हूँ कि यदि पारस्परिक सहमतिसे कोई विधेयक पास किया जाये तो इसमें कुछ इसी प्रकारका उपबन्ध रखना आवश्यक है; किन्तु मैं लोगोंको यह उपदेश नहीं दे सकता कि ब्रिटेनके साथ हमारे सम्बन्ध अविच्छेद्द हैं। विधेयकमें इस प्रकारका कोई उपबन्ध होना चाहिए जिससे संसद राष्ट्रमण्डलको बनाये रखनेकी दिशामें तत्काल कुछ कर सके। विधेयकके अन्तर्गत भारत सरकारके वर्तमान आर्थिक तथा दूसरे दायित्व भी अपने ऊपर ले लिए गये हैं। मैं इस व्यवस्थासे सहमत नहीं हो सकता। एक निष्पक्ष आयोग द्वारा वर्तमान सरकारके प्रत्येक दायित्व और करारके नैतिक औचित्यकी जाँच-पड़ताल की जानी चाहिए। इस आयोगमें एक नुमायन्दा तो राष्ट्रपतिका हो और एक ब्रिटिश सम्राट्का। ये दोनों मिलकर एक निर्णायकका चुनाव करें। सम्राट्की न्याय समितिका क्षेत्राधिकार रद कर दिया जाना चाहिए। एक स्थानीय न्याय समितिकी स्थापना की जानी चाहिए और प्रत्येक दीवानी मुकदमेमें अनिवार्य पंच-निर्णयका सिद्धान्त लागू किया जाना चाहिए। राष्ट्रमण्डलका यह अधिकार स्पष्ट रूपसे मान्य होना चाहिए कि वह सभी आयातित वस्तुओंपर, चाहे वे ब्रिटिश हों चाहे अन्य, देशीय संरक्षण कर लगा सकें। हाँ, उसमें ब्रिटेनको सबसे अधिक विशिष्ट, राष्ट्र-जैसा व्यवहार प्राप्त रहे। राज्यकी भाषा हिन्दी या हिन्दुस्तानी हो। मतदाताओं और विधानसभाओंके सदस्योंकी योग्यता मुझे अत्यन्त जटिल लगती है। मैं वर्गीकृत मताधिकारको नापसन्द करता हूँ। गाँवोंके लिए मताधिकार आवश्यकतासे अधिक विस्तृत है। उदाहरणके लिए पागल भी मतदाता हो सकता है। श्रमिकोंके लिए कोई व्यवस्था नहीं रखी गई है। मेरा सूत्र तो यह है कि जो श्रम न करे उसे मताधिकार न मिले, इसीलिए कताई सदस्यता रखी गई है।

यदि विधेयकमें उक्त संशोधन कर दिये जायें और उसमें मुसलमानोंका सहयोग प्राप्त हो, तो मुझे वह स्वीकार होगा। मेरा अपना विचार यह है कि इस विधेयकपर विचार करनेके लिए अभी आवश्यक वातावरण नहीं है। मैं विधेयकमें अपने बताये