पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/५८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५५८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी शामिल करूँ। उनको व्यक्तिशः उत्तर भेजनेके बजाय मैं उन्हें इसके द्वारा सूचित कर देना चाहता हूँ कि मेरे बिहारके दौरेकी तारीख अभी निश्चित नहीं हुई है। यदि बंगालके दौरेके बाद मेरा स्वास्थ्य ठीक रहा (मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ कि मुझे अभी हालमें मलेरिया हो गया था और मैं उसके बाद पहले जैसा स्वस्थ नहीं हो सका हूँ) तो मैं बिहारके मित्रोंकी इच्छाकी पूर्ति करनेका प्रयत्न करूँगा। किन्तु जबतक मैं बंगालका दौरा काफी कुछ खत्म नहीं कर लेता तबतक कोई तारीख तय नहीं की जा सकती। कुछ भी हो, बिहारके जो मित्र चाहते हैं कि मैं उनके स्थानोंमें आऊँ वे राजेन्द्रबाबूसे पत्र-व्यवहार करें। मेरे कार्यक्रमका निर्धारण उन्हींके हाथमें रहेगा और वे उसमें मौन दिवस आदिके बारेमें मेरी उन शर्तोंका पूरा ध्यान रखेंगे जिनपर मैंने अपनी बंगाल-यात्राके सिलसिलेमें जोर दिया है। [१]

ट्रान्सवालके भारतीय

जोहानिसबर्गके ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्री द्वारा भेजा गया तार नीचे दिया जाता है:

श्री कॉलिन्स, विरोधी सदस्य एर्मेलो, ने विधान सभामें एक विधेयक पेश किया है जिसके अन्तर्गत ट्रान्सवाल नगरपालिकाके या नगरके क्षेत्रमें ६ मीलके घेरेमें किसी भी ऐसे एशियाईको, जिसकी वहाँ अचल सम्पत्ति न हो और साथ ही किसी भी एशियाई कम्पनीको, वह पंजीकृत हो या न हो, व्यापार या व्यवसाय करनेका अनुमतिपत्र देना या उसका नवीनीकरण करना निषिद्ध होगा। विधेयक पास हो जायेगा तो स्मट्स-गांधी समझौता निहित स्वार्थोके सम्बन्धमें पूर्णतः भंग हो जायेगा और भारतीयोंका पूर्ण विनाश तथा अन्तिम रूपसे उच्छेद हो जायेगा। संघ इसे पास करनेका जबरदस्त विरोध करता है और आपसे इसकी वापसीके उपाय करनेका अनुरोध करता है। परमश्रेष्ठ वाइसरायको तार दे दिया है।

यह तार यहाँ कुछ दिन पहले मिला था, किन्तु मेरे निरन्तर दौरेपर रहनेके कारण अभीतक इसकी ओर ध्यान नहीं दिया जा सका। मैं संघसे क्षमा-याचना करता हूँ। किन्तु यह मामला न तो पुराना पड़ा है और न ऐसा है कि इसमें सहायता न की जा सके। यह विधेयक वैसा ही है जैसा जनरल हर्टजोगने पेश किया था और जनरल स्मट्सने जिसका तीव्र विरोध किया था। [२] संघने ऐसे आदमीसे अपील की है। जो इस मामले में बिलकुल असमर्थ है। मैं इस शिकायतको अब लोगोंके सामने रखने के सिवा और कुछ नहीं कर सकता। आशा है वाइसरायसे की गई अपील निरर्थक न जायेगी। परमश्रेष्ठ यदि कुछ और नहीं कर सकते तो कमसे-कम इतना तो कर ही सकते हैं कि वे विदेशोंमें बसे भारतीय प्रवासियोंके पक्षका समर्थन करें। प्रस्तावित विधेयक १९१४ के स्मट्स-गांधी समझौतेका स्पष्ट उल्लंघन है। ट्रान्सवालमें अचल

 
  1. देखिए "टिप्पणियों", १६-४-१९२५ के अन्तर्गत उपशीर्षक "बंगालका दौरा"
  2. देखिए "टिप्पणियाँ", ५-३-१९२५ के अन्तर्गत उपशीर्षक "दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिबन्ध"।