पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/५८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५५९
गुण बनाम गिनती

सम्पत्ति रखनेवाले एशियाइयोंका उल्लेख करना ढोंग है, क्योंकि सभी जानते हैं कि वे तो वहाँ बस्तियोंके सिवा अन्यत्र अचल सम्पत्ति रख ही नहीं सकते और बस्तियोंमें भी कहीं-कहीं उन्हें अचल सम्पत्ति नहीं रखने दी जाती। इसके अतिरिक्त यह बात भी सभी जानते हैं कि एशियाई व्यापारको बस्तियोंतक ही सीमित करना उसे नष्ट कर देना है। यदि एशियाइयोंका वहाँसे उच्छेद करना ही लक्ष्य है तो ईमानदारीका रास्ता यह होगा कि वह एक निर्वासन विधेयक पेश करे और भारत सरकारको चुनौती दे कि वह उसके जवाबमें अपना पूरा जोर लगा कर देख लें।

यह है कहाँ?

एक पत्र लेखक लिखते हैं:

आपके इस मासकी १२ तारीखके अंकमें एक मुसलमानने 'लोहानी' की किसी मस्जिदके बारेमें शिकायत की है। यह नाम ब्रिटिश भारत तथा रियासतोंकी भारतीय डाकखानोंकी निर्देशिकामें कहीं भी नहीं मिलता। इसलिए उचित यह होगा कि ऐसे मामलों में आप जब भी किसी छोटे स्थानका नाम प्रकाशित करें तब उसके डाकखानका या कमसे-कम उसके जिलेका नाम भी अवश्य दिया करें, जिससे कार्यकर्त्ताओंको उस स्थानका पता लगानमें और शिकायतकी जाँच करनमें मदद मिले। क्या लोहानी कहीं है भी?

मैंने शिकायत भेजनेवालेसे पूछा था कि लोहानी कहाँ है। उसने मुझे लिखा, दिल्ली खिलाफत समितिसे पूछताछ करनी चाहिए। मैंने उसे पत्र लिखा है। किन्तु मैं समय बचाने के विचारसे सभी सम्बन्धित लोगोंसे निवेदन करता हूँ कि वे मुझे इस सम्बन्धमें सूचना दें। मुझे स्वीकार करना होगा कि लोहानी कहाँ है, यह मैं स्वयं नहीं जानता।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ३०-४-१९२५

३१८. गुण बनाम गिनती

इन दिनों देशमें कांग्रेसके सदस्योंकी संख्याके बारेमें निराशाजनक बातें सुनाई पड़ती हैं। शिकायत यह है कि कांग्रेसके सदस्योंकी संख्या जितनी कम आज है उतनी कम पहले कभी नहीं रही। यदि मताधिकारकी शर्ते वही रहतीं और तब संख्या कम होती तो यह शिकायत वाजिब होती। और यदि कांग्रेसके प्रभावका माप सदस्योंकी संख्यासे करना हो तब भी। इस बातमें तो मतभेद अवश्य हो सकता है कि कांग्रेसके प्रभावका अनुमान किस बातसे किया जाये। मेरे नजदीक उसका माप एक ही है। मैं तो गुण को ही सबसे अधिक महत्त्व देता हूँ--मैं प्रायः संख्याका खयाल नहीं करता। और अपने देशकी स्थितियोंको देखते हुए तो और भी ज्यादा। आज हमारे अन्दर सन्देह, मतभेद, हित-विरोध, अन्धविश्वास, भय, अविश्वास आदि दोष विद्यमान हैं। ऐसी अवस्थामें संख्या-बलमें न केवल सुरक्षाका अभाव है, बल्कि खतरेका अन्देशा