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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है कि सरकार शायद फरवरीमें सुधार जाँच समितिकी रिपोर्टको विधानसभामें विचारके लिए पेश करेगी। चूँकि इस समितिके कार्यके सम्बन्धमें हिन्दू-मुस्लिम मतभेदोंको बड़ा तूल दिया गया है, इसलिए जब रिपोर्टपर विचार करनेका समय आयेगा तब मैं सरकारसे कहना चाहता हूँ कि हिन्दू-मुसलमानोंके सब मतभेद समाप्त हो गये हैं और अब वे अपनी माँगपर एकमत हैं।

महात्मा गांधीने उत्तर दिया कि उप-समितिकी रिपोर्ट प्रकाशित होनेसे श्री जिन्नाका मतलब हल हो जायेगा। उप-समिति जल्दी ही बैठक बुलायेगी और वह प्रतिदिन कार्य करेगी तथा उसे तबतक जारी रखेगी जबतक उसका कार्य सम्पन्न नहीं हो जाता और वह अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं कर लेती। ...

[अंग्रेजीसे]
हिन्दुस्तान टाइम्स, २७-१-१९२५

१७. टिप्पणियाँ

काठियावाड़

भाई भरूचा[१] जो फिलहाल काठियावाड़में काम कर रहे हैं, लिखते हैं कि वे देवचन्द भाईके साथ लोगोंमें घूम-घूमकर विभिन्न स्थानोंसे कपास इकट्ठी कर रहे हैं। १८६ कातनेवाले सभासद भी बना लिये गये हैं; और भी बनते जा रहे हैं। यदि इस उत्साहका पूरा लाभ उठाया जा सके, तो बहुत अच्छे कामके होनेकी सम्भावना है। जहाँ आवश्यक हो वहाँ पूनियों और चरखोंके भेजने तथा जिन लोगोंको कातना न आता हो, उन्हें कातना सिखानेका ठीक-ठीक प्रबन्ध किया जाना चाहिए।

मैं काठियावाड़के कार्यकर्ताओंको सावधान करना चाहता हूँ कि तारीख १५ फरवरीको मैं फिर काठियावाड़में पहुँच रहा हूँ। उस समयतक मैं काफी काम हो चुकनेकी आशा रखूँगा। मेरे मनमें अभीसे यह विचार आता रहता है कि जब मैं राजकोट पहुँचूँगा, तब वहाँका क्या दृश्य होगा। राजकोटमें खादीकी कमीके विषयमें एक कच्छी भाईने शिकायत की थी। इस सम्बन्धमें मैं कुछ महीने पहले 'नवजीवन' में लिख चुका हूँ।[२] क्या १५ फरवरीको मुझे वहाँ वैसा ही अभाव दिखाई देगा?

ठीक हिसाब

हम पैसेकी जगह कपास इकट्ठी कर रहे हैं, इसलिए हिसाब रखनेकी पद्धतिमें अन्तर तो होगा ही। यदि शुरूसे ही सोच-समझकर हिसाब रखा जाये, तो भविष्यमें उससे बड़ी सुविधा होगी। कपास इकट्ठी करना, फिर उसे ठीक तरहसे रखना और उसके बाद जिन विभिन्न क्रियाओंको करना आवश्यक हो जाता है, उनपर खर्च होने--

 
  1. बरजोरजी भरूचा।
  2. देखिए "टिप्पणियाँ", २७-४-१९२४ के अन्तर्गत उपशीर्षंक "काठियावाड़की खादी"।