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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अध्यक्ष

डा० सुमन्त मेहता भी किसान ही नजर आते थे। जहाँ देखिए, वहाँ काम और सेवाके अतिरिक्त कोई दूसरा दृश्य दिखाई नहीं देता था। स्वागताध्यक्ष, और परिषद्के अध्यक्ष श्री डा० सुमन्त मेहता, दोनोंके भाषण छोटे ही थे और वे भी उन्होंने पूरे पढ़कर नहीं सुनाये, केवल कुछ अंश पढ़कर सुनाये और परिषद्का समय बचाया।

धाराला

पाटीदारोंकी इस परिषदके साथ ही साथ तीन परिषदें और भी आयोजित की गई थीं---धारालाओंकी, स्त्रियोंकी और अन्त्यजोंकी। ये परिषदें चूँकि एकके बाद एक हुई थी, इसलिए सभी परिषदोंमें लोगोंको उपस्थित रहनेकी सुविधा हो गई थी। धाराला जाति अपनेको बारिया क्षत्रिय मानने लगी है। किन्तु यदि मैं उन्हें सलाह देनेवाला कोई होता हूँ, तो मैं यही सलाह दूँगा कि वे अपने धाराला नामको ही अंगीकार किये रहें और उसे पवित्र बनायें। नाम बदलनेसे काम नहीं हो जाता। नाम बदलनेसे दरजा भी ऊँचा नहीं होता। वह तो क्षत्रियोंको शोभने योग्य काम करनेसे ही प्राप्त होगा। इतनी आलोचना करनेके बाद परिषद्के विषयमें तो मुझे प्रशंसाके शब्द ही कहते हैं। मण्डप धारालाओंसे खचाखच भरा हुआ था। संख्या में इतने अधिक होनेके बाद भी वहाँ सम्पूर्ण शान्ति रही। प्रस्ताव भी अपने समाजके अन्तर्गत सुधार करनेकी हदतक सीमित था। इन लोगोंमें मद्यपान, स्त्री-हरण और कन्याविक्रयके दोष बहुत दिनोंसे चलते आ रहे हैं। परिषद्में आये हुए भाइयोंने इन तीनों बुराइयोंको छोड़नेका प्रस्ताव पास किया।

अपनी प्रतिज्ञापर अटल रहना भी क्षत्रियका धर्म है। भय बाहरसे आये या भीतरसे पैदा हो, उसकी चिन्ता न करना और किये हुए निश्चयपर दृढ़ रहना यह ऊँचे दरजेका 'अपलायन' [१] है। वीरत्व तलवार चलानेमें नहीं, दृढ़तामें है।

महिला परिषद्

सोजित्रा महिला परिषद् इतनी महिलाएँ आ गई थीं कि जिसकी किसीने कल्पना नहीं की थी। ज्यादातर पाटीदार बहनें परदा करती हैं। इसके बावजूद परिषद्का मण्डप बहनोंसे भर गया था। इतनी बहनोंका इकट्ठा होना परिषदकी सार्थकताका द्योतक था। उसमें कोई प्रस्ताव पास करनेकी आवश्यकता दिखाई नहीं दी। उन्होंने चरखेकी बात ध्यानपूर्वक सुनी, इसे सन्तोषजनक माना जाना चाहिए। यदि प्रस्ताव तैयार किया जाता और प्रस्तुत किया जाता, तो उसके समर्थनमें हाथ भी अवश्य उठ जाते। किन्तु उससे कोई बड़ा अर्थ सिद्ध न होता।

अन्त्यज

अन्त्यज परिषद् भी इसी मण्डपमें हुई। कार्यकर्ताओंने साहसपूर्वक मण्डपमें ही इस परिषद्को आयोजित होने दिया, इसलिए वे धन्यवादके पात्र हैं। पाटीदारोंमें से

 
  1. न दैन्यं न पलायनम्।