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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अंग्रेजोंके प्रति आपका सच्चा रुख क्या है? और इंग्लैंडसे आप क्या आशा रखते हैं?

अंग्रेजोंके प्रति मेरे मनमें पूर्ण मित्रता और आदरके भाव हैं। मैं उनका मित्र होनेका दावा करता हूँ। क्योंकि यह मेरी प्रकृतिके विरुद्ध है कि मैं एक भी मानवको अविश्वासको दृष्टिसे देखूँ या यह मानूँ कि दोषमोचनकी दृष्टिसे संसारकी कोई भी कौम असाध्य है। मेरे मनमें अंग्रेजोंके प्रति आदर है, क्योंकि मैं उनकी बहादुरीका, वे जिस बातको अपने लिए अच्छा समझते हैं उसके लिए कुरबानी करनेका, उनकी एक बने रहनेकी वृत्तिका तथा व्यापक संगठन कर सकनेकी उनकी शक्तिका कायल हूँ। उनसे मुझे यह आशा है कि वे थोड़े ही समयमें पीछे हट जायेंगे और अव्यवस्थित तथा अनुशासनहीन जातियोंके शोषणकी अपनी नीतिको छोड़ देंगे, एवं इस बातका प्रत्यक्ष प्रमाण देंगे कि भावी ब्रिटिश राष्ट्रसंघमें भारत एक बराबरीका मित्र और सहयोगी बनकर रह सकेगा। ऐसा कभी होगा अथवा नहीं इस बातकी सम्भावना मुख्यतः हमारे अपने कामपर निर्भर है। अर्थात् इंग्लैंडसे मेरी आशाका कारण यह है कि मैं भारतसे आशा करता हूँ। हम सदा अव्यस्थित और नकलची तो नहीं रहेंगे। वर्तमान अव्यवस्था, नैतिक पतन और नये काम उठानेको शक्तिके अभावके पीछे मझे व्यवस्था, नैतिक बल और कार्यारम्भकी शक्ति अपने आप संगठित होती हुई दिखाई देती है। वह जमाना आ रहा है जब इंग्लैंड हिन्दुस्तानकी मित्रता पाकर खुश होगा और हिन्दुस्तान भी मित्र भावसे इंग्लैंडके बढ़ाये गये हाथको महज इस खयालसे अस्वीकार नहीं कर देगा कि कभी वह उसका शोषक रह चुका है। यों मुझे मालूम है कि इस आशाके लिए कोई प्रमाण मेरे पास नहीं है, इसका आधार केवल मेरी अविचल श्रद्धा ही है। जो श्रद्धा तथाकथित प्रमाणोंपर ही आधारित हो वह सच्ची श्रद्धा नहीं है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २९-१-१९२५

२४. टिप्पणियाँ

उलटा रास्ता

जमीयत-उल-तबलीग इस्लामने हालकी अपनी बैठकमें पास किये गये प्रस्तावका [अंग्रेजी] अनुवाद मुझे भेजनेकी कृपा की है। प्रस्ताव इस प्रकार है:

यह निश्चय किया गया कि हाल ही कोहाटमें हुए दंगोंके समय [१]जो शर्मनाक घटनाएँ हुई हैं और जिनके फलस्वरूप वहाँ लोगोंके जानोमालको जो काफी नुकसान पहुँचा है, उन सबकी जिम्मेदारी उन लोगोंपर है जिन्होंने कोहाटमें ऐसा परचा शाया किया जो जोश और गुस्सा दिलानेवाला था और जिसमें इस्लामपर बड़े ही गन्दे आक्षेप किये गये थे तथा जिसमें मुसलमानोंके

 
  1. सितम्बर १९२४ में।