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सूत निकालने में मदद मिलती है। जो लोग मजदूरीकी दृष्टिसे कातते हैं, वे यदि धुन भी लें तो इससे उनकी आमदनी बढ़ जायेगी। देश-भरमें ऐसे धुननेवाले मौजूद हैं। जो धुनाईसे ही अपनी पूरी जीविका कमा लेते हैं। अच्छा धुननेवाला दिनमें बारह आने कमा सकता है। अच्छा कातनेवाला इतना नहीं कमा सकता है। हर सुसंचालित कांग्रेस कमेटीके अन्तर्गत चरखे और उससे सम्बद्ध दूसरी चीजें बनाने और देनेके लिए एक भण्डार होना चाहिए।

गबन होनेपर

आन्ध्र देशसे एक सज्जन लिखते हैं:

बहुतसे लोग यह समझकर कि कांग्रेसवाले अदालतोंमें नालिश तो करते ही नहीं, कांग्रेस कमेटियों और खादी-बोर्डोका बकाया रुपया नहीं देते। यह और कुछ नहीं तो गबन और धोखेबाजी अवश्य है। आप गबनके बारेमें लिख चुके हैं; और अब अदालतों में जाने के बारेमें प्रतिबन्ध भी नहीं रहा; इसलिए मुझे यकीन है कि कांग्रेस कमेटियाँ ऐसी हालतमें अदालतोंमें दावे दायर कर सकती हैं।

मैं ऐसे मामलोंके बारेमें अपनी राय पहले ही दे चुका हूँ। मुझे इस बातमें कोई सन्देह नहीं कि उन दिनोंमें भी जब कि अदालतोंका बहिष्कार चालू था कांग्रेसवालोंका कर्तव्य था कि वे दगाबाजों और पावना देनेसे इनकार करनेवालोंपर दावे करें। बहिष्कार इसलिए नहीं शुरू किया गया था कि कांग्रेस अपना सर्वनाश कर ले। उसके मूलमें यह भाव गृहीत ही था कि कांग्रेससे लेन-देन करनेवाले लोग ईमानदारी बरतेंगे।

अ०भा० खादीबोर्डके प्रस्ताव

कांग्रेस मताधिकार योजनाको कार्यान्वित करनेके बारेमें अ० भा० खादी बोर्डके नीचे दिये हुए प्रस्तावोंकी ओर मैं सभी सम्बन्धित व्यक्तियोंका ध्यान आकर्षित करता हूँ:

कांग्रेसने हाथ-कताईको मताधिकारका अंग मान लिया है, इसलिए और इस मामलेमें प्रान्तीय समितियोंको सुविधा पहुँचानको दृष्टिसे अ० भा० खादी बोर्ड प्रस्ताव करता है कि वह प्रान्तीय खादी बोर्ड के जरिए, या सीधे ही, नीचे लिखी सहायता करने को तैयार है।

(१) किसी भी प्रान्तको जहाँ आसानीसे कपास नहीं मिल सकती, कपास देने के लिए बोर्ड तैयार है।

(२) उधार माँगने के लिए जो अर्जियाँ आयेंगी उनपर विचार करनेके लिए बोर्ड तैयार रहेगा। इसकी शर्ते उसी वक्त तय की जायेंगी।

(३) यह बोर्ड प्रान्तीय खादी-बोर्डोको यह सलाह देता है कि वे सदस्यों को अच्छे चरखे और धुनकी और सम्बन्धित सामग्रीके नमूने प्राप्त