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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करने में हर तरहसे मदद करें और जबतक सदस्य अपनी पूनियाँ बनानेकी व्यवस्था स्वयं न कर लें तबतक तैयार पूनी प्राप्त करनमें भी उन्हें सहायता पहुँचायें।

(४) जहाँतक मुमकिन होगा बोर्ड धुनना, कातना इत्यादि कामोंमें शिक्षा देनेके लिए विशेषज्ञोंका इन्तजाम करेगा। इसके लिए बोर्ड के साथ व्यवस्था करनी होगी।

(५) बोर्ड किसी भी प्रान्तीय समितिसे बाजार भावपर सूत खरीदनके लिए तैयार रहेगा या समितियोंकी तरफसे उसे बुनवा देगा।

(६) यदि जरूरत लगे तो बोर्ड उचित दरपर मताधिकारके लिए आवश्यक हाथ-कता सूत देने के लिए तैयार है।

(७) बोर्ड व्यक्तियोंको और समितियोंको आगाह करता है कि वे मताधिकारके लिए बाजारसे हाथ-कता सूत न खरीदें, क्योंकि मुमकिन है बाजारका सूत मिलका सूत हो या मिलकी पूनीका कता हो और एक-सा तथा बटदार भी न हो। (केवल कुशल कातनेवाले ही हाथ-कते और मिलके कते सूतका फर्क समझ सकते हैं और बता सकते हैं कि सूत अच्छा कता है या बुरा। जब मिलकी पूनीका सूत हाथसे काता गया हो, तो कुशल कातनेवाले भी उसे नहीं पहचान सकते)।

(८) अन्तमें, बोर्ड व्यक्तियोंको और समितियोंको जो-कुछ भी जानकारी और मदद दरकार हो, यदि बोर्डके वशकी बात हुई तो, वह सब देनके लिए तैयार रहेगा।

समय बहुत कम रह गया है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि नये मताधिकारके अनुसार प्रान्तीय समितियाँ अपनी व्यवस्था कर रही होंगी। यदि ठीक-ठीक काम किया गया तो बड़े अच्छे नतीजे निकल सकते हैं। लेकिन इसके लिए छोटीछोटी बातोंपर ही ध्यान देना होगा। एक मर्तबा कार्य करने योग्य संगठन बन जानेपर वह दिन दूनी, रात चौगुनी गतिसे बढ़े बिना न रहेगा; और इससे कांग्रेस स्वावलम्बी और धनोत्पादन करनेवाली संस्था बन जायेगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २९-१-१९२५