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टिप्पणियाँ

निरन्तर इसकी प्रतीति रखना है। और आइए, हम इस धर्मके अनुसार और इस आदर्शतक पहुँचनेके उद्देश्यसे अपनी शक्ति-भर इसका पालन करें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ५-२-१९२५

३४. शाबाश

कारवारकी हलियाल ताल्लुका कांग्रेस कमेटीके मंत्री लिखते हैं:

हमारी नगरपालिकामें कांग्रेसका बहुमत है। इसलिए हम उसकी मार्फत कांग्रेसके कार्यक्रमको कार्यान्वित करनेका प्रयत्न कर रहे हैं। नगरपालिकाके स्कूलों में सूत कातना अनिवार्य कर दिया गया है। नगरपालिकाके कर्मचारियोंको खादीकी पोशाकें दी गई हैं। दलित वर्गोंके बच्चोंके लिए शिक्षा निःशुल्क और अनिवार्य कर दी गई है। उनके बच्चे अन्य वर्गोंके बच्चोंके साथ-साथ बैठते हैं। वे सार्वजनिक तालाबका उपयोग कर सकते हैं। हमारे यहाँ हिन्दू-मुस्लिम या ब्राह्मण-अब्राह्मणका कोई भेदभाव नहीं है। हम मद्य-निषेध आन्दोलन भी शुरू कर रहे हैं।

यह सारा काम बड़ा अच्छा और ठोस है। मैं हलियाल ताल्लुका कांग्रेस कमेटीको इस ठोस रचनात्मक कार्यके लिए बधाई देता हूँ और चाहता हूँ कि दूसरी नगरपालिकाएँ भी ऐसा ही करें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ५-२-१९२५

३५. टिप्पणियाँ

एकताकी ओर

सर्वदलीय सम्मेलनके द्वारा सौंपे गये प्रश्नोंपर [१] विचार करनेके लिए समितिकी बैठक हुई। एकताके प्रश्नपर विचार करनेके लिए समितिने कोई ५० लोगोंकी एक उप-समिति नियुक्त की। उप-समितिने एक और छोटी समिति बनाई और उसके जिम्मे यह काम सौंपा गया कि वह स्वराज्यकी जितनी योजनाएँ हो सकती हैं उन सबपर विचार करे और अपने निर्णयोंको उक्त उप-समितिके सामने पेश करे। डा० बेसेंट इस छोटी समितिमें सदाकी तरह ऐसी तत्परता और स्फूतिके साथ काम कर रही है, जिसे देखकर युवकों और युवतियोंको शर्म आ जाये। परन्तु बातचीत ज्यादातर हिन्दू-मुस्लिम सवालपर ही हुई। और यही स्वाभाविक था। इसलिए

 
  1. देखिए "भाषण: सर्वदलीय सम्मेलन समितिको बैठकमें", २४-१-१९२५ की पादटिप्पणी १।