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भेट : हरदयाल नागसे

जिन शब्दोंका प्रयोग किया वे थे अहिंसा और सत्यनिष्ठा । लेकिन असहयोगके बारेमें आपने एक भी शब्द नहीं कहा। मेरे खयालसे अहिंसा असहयोगके बिना अर्थहीन है। कायरतामें भी तो अहिंसा रहती है। यदि अहिंसात्मक असहयोगपर आपका विश्वास दृढ़ है तो आप किसी स्वराज्यवादीके उसके विरुद्ध बोलनका प्रतिवाद किये बिना कैसे रह सकते हैं?

जैसा कि मैंने आपको बताया है, जहाँतक मुझे मालूम है, देशबन्धुके भाषणमें असह- योगके विरुद्ध एक शब्द भी न था। फिर हमें यह भी स्मरण रखना चाहिए कि मैं कांग्रेसके सिद्धान्तके सम्बन्धमें बोल रहा था। कांग्रेसके सिद्धान्तमें असहयोगका कोई जिक्र नहीं है। “शान्तिपूर्ण और वैध उपायों" का उल्लेख उसमें अवश्य है। मैंने अपने भाषणमें इतनी सावधानी अवश्य बरती थी कि अपना आशय इन दोनों शब्दोंके साथ अहिंसा और सत्याचरणका विशेषण जोड़कर प्रकट किया था।

आपने फरीदपुरमें घोषणा की थी कि आपने मोटे तौरपर देशबन्धु दासको अपना वकील मान लिया है और उन्हें अधिकार दे दिया है कि वे कौंसिलोंमें जो-कुछ करना चाहें कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति इसका यही निष्कर्ष निकाल सकता है कि कौंसिलमें वे जो-कुछ करते हैं मुख्यतया आपकी ओरसे करते हैं; और वे वहाँ केवल आपके मुख्तार हैं। मालिक और मुख्तारके दस्तूरके मुताबिक आपके कथनका ऐसा अर्थ निकालने के लिए किसीको भी दोष नहीं दिया जा सकता। क्या बात ऐसी ही है ? देशबन्धु दास कौंसिल में जो कुछ भी करते हैं, क्या आप उसका समर्थन करते हैं ?

जब मैंने देशबन्धु दास या स्वराज्यवादियोंके 'ऐजेन्ट' होनेकी बात कही तब उस आयरिश व्यक्तिके लहजेमें कही थी जिसने अपनेको साम्राज्यका एक मालिक बताया था। मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नामकी व्यावसायिक पेढ़ीके एक हिस्सेदारको हैसियतसे वह बात की थी। चूंकि कांग्रेसने स्वराज्यवादियोंको अपना कौंसिल कार्यक्रम चलानेका अधिकार दे दिया है। इसलिए मैं समझता हूँ कि मेरा स्वराज्यवादियोंको कौंसिल सम्बन्धी काम करने के लिए अपना मुख्तार बताना कोई अनुचित कार्य नहीं हुआ। किन्तु इस तर्कके आधारपर प्रान्तीय कौंसिलोंमें या विधान परिषदोंमें बरती जानेवाली उनकी नीतिके हरएक नुक्तेका समर्थन करने की जरूरत नहीं है। एक बुद्धिमान और कार्यकुशल व्यक्तिकी तरह एक बार अपने मनपसन्द अभिकर्ताओंको मुख्तारनामा दे देनेके बाद, मैं इस बातकी व्यर्थ चिन्ता नहीं करता कि वे वहाँ क्या कर रहे हैं।

यदि स्वराज्यवादी लोग नौकरशाहीसे किसी समझौतेके आधारपर कुछ रिया- यत पाने में सफल हो जाते हैं तो क्या आप उस समझौते में साझेदार होंगे?

ओह ! जब नौकरशाहीके साथ हुए किसी समझौतेको शतें सामने आयेंगी, तब मुझे उन शर्तोंपर विचार तो करना ही होगा। सरकारसे किसी भी प्रकारका समझौता करनेके लिए मैंने किसी भी व्यक्तिको मुख्तारनामा नहीं दे रखा है। इसलिए अन्य किसी कांग्रेसीको तरह मैं भी राष्ट्रके सामने स्वीकृतिके लिए पेश किये जानेवाले समझौतेकी विवेचना स्वयं करनेका अधिकार अपने लिए सुरक्षित रखता हूँ।