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भेंट : हरदयाल नागसे

क्या आप यह महसूस नहीं करते कि आपने स्वराज्यवादियोंको जो बहुत अधिक ढोल दे रखी है, असहयोगको उसके कारण सबसे ज्यादा क्षति पहुंच रही है ?

मैं ऐसा कतई नहीं समझता, मेरी धारणा तो यह है कि उसे क्षति पहुँचनेका कारण असहयोगियोंकी कमजोरी है।

क्या आपको मालूम है कि स्वराज्यवादियोंने अभीतक अपने तरीके नहीं बदले हैं?

कौनसे तरीके ?

उनके अपने तरीके और काम करने की नीति। मैं इसका एक उदाहरण देता हूँ। क्या आप फरीदपुरमें.बंगाल प्रान्तीय सभाके अध्यक्ष-पदपर प्रफुल्लचन्द्र रायके निर्वाचनके बावजूद किसी दूसरेको प्रतिष्ठित करने के बारेमें कुछ जानते हैं ?

मैं इसके बारेमें नहीं जानता। क्या हुआ था?

निर्वाचनके समय डॉ० राय दूसरे नम्बरपर और श्री बी० एम० सस्मल प्रथम निर्वाचित हुए थे। श्री सस्मलके त्याग-पत्र दे देनेपर, डॉ० रायका निर्वाचन एक तरफ रखकर श्री दासको निर्वाचित कर लिया गया था। क्या आपको इसके बारेमें कोई जानकारी है?

मैं इसके बारेमें कुछ नहीं जानता।

यदि मैं इसे स्वराज्यवादियोंके तौर-तरीकोंके एक दृष्टान्तके रूपमें पेश करूं तो आप क्या कहेंगे?

मैं इसके बारेमें स्वराज्यवादियोंकी बात सुने बगैर और पूरे तथ्य जाने बगैर . कोई राय नहीं दे सकता।

क्या आप तथ्यों की जाँच करने को राजी हैं ?

जो बात खत्म हो चुकी है उसपर मैं समय बरबाद नहीं करूँगा।

मैं यह मामला स्वराज्यवादियोंके तौर-तरीकोंके एक स्पष्ट उदाहरणके रूपमें आपको जानकारीमें ला रहा हूँ। इसपर आपका क्या कहना है ?

मैं उनके तौर-तरीकोंके बारे में कुछ भी नहीं जानता। किसी मामलेकी जाँच किये बिना मैं कोई राय भी नहीं दे सकता; क्योंकि मैं स्वराज्यवादियोंके या किसीके भी बारेमें काजी नहीं बनना चाहता; खासकर वहाँ, जहाँ उसकी कोई जरूरत न हो।

जब आप देखते हैं कि स्वराज्यवादियोंने अभीतक अपने रंग-ढंग नहीं बदले हैं तो क्या आप विशुद्धिवादियोंको उनकी अक्षमताके लिए दोषी ठहरा सकते हैं?

पहली बात तो यह है कि आप यह माने ले रहे हैं कि स्वराज्यवादियोंके तौर- तरीके आपत्तिजनक हैं। इसलिए आपको इस बारे में मुझे सन्तुष्ट करना है। दूसरे, जिन लोगोंको आपने विशुद्धिवादी कहा है, किस अधिकारसे कहा है, इसका पता मुझे नहीं है — उन्हें मैंने उनकी अक्षमताके लिए दोषी नहीं ठहराया है। लेकिन अपने उद्देश्यमें विश्वासके अभावका दोष उनपर मैंने जरूर लगाया है। और यदि तर्कके लिए ऐसा मान भी लें कि स्वराज्यवादियोंके तरीके आपत्तिजनक हैं तो उससे विशुद्धिवादियोंकी