प्रिय श्री केतकर१,
श्री केलकर२ द्वारा भेजा गया 'गीता-बीज' पर आपका लेख पढ़कर मुझे प्रस- त्रता हुई। मैं सचमुच यह नहीं मानता कि 'गीता' एक वैज्ञानिक पुस्तक है, जिसकी व्याख्या वैज्ञानिक ढंगसे की जानी चाहिए। हाँ, हम इसके आधारपर विज्ञानका निरूपण कर सकते हैं। आपका चुनाव निश्चित रूपसे बुद्धिमत्तापूर्ण है और उसका समर्थन सुन्दर तर्कों द्वारा किया गया है। पर मैं यह नहीं कह सकता कि यही सर्वोत्तम है।
श्री जी०वी० केतकर
'केसरी' कार्यालय
पूना नगर
अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ७९६३) की फोटोनकलसे।
गांधीजोने अपने भाषणमें कहा कि मैं मानपत्रोंके लिए आप लोगोंका आभारी हूँ। किन्तु मुझे दुःख है कि मैं अली भाइयोंसें से किसीको भी अपने साथ नहीं ला सका। मुझे इस बातका भी दुःख है कि श्री सेनगुप्त उपस्थित नहीं है। पिछली बार जब मैं आपके नगरम आया था, सरकारने मेरे भाषणपर प्रतिबन्ध लगा दिया था। नगरपालिका शानदार काम कर रही है, इसके लिए मैं उसे धन्यवाद देता हूँ। मैं नहीं जानता कि शिक्षाको अनिवार्य बना देना उपयोगी रहेगा या नहीं। इस
१.केसरीके सम्पादक।
२. न० चि० केलकर; केसरी और मराठाके सम्पादक; लो० तिलकके सहयोगी; एक समय में कांग्रेसके मन्त्री।
३. इस सभा २०,००० से भी अधिक लोग उपस्थित थे। यह भाषण चटगांवकी नगरपालिका, गांधी स्वागत समिति तथा करदाता संघकी ओरसे दिये गये मानपत्रोंके उत्तरमें दिया गया था। गांधीजीने अपना भाषण पहले हिन्दी और फिर अंग्रेजीमें दिया। हिन्दी भाषण उपलब्ध नहीं है।