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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

चलते चलाते रहते हैं। उनकी निगाह अपनी भेड़ोंपर होती है और साथ ही तकली भी चलती रहती है। यदि आपकी समझमें मेरी दलील न आती हो तो आप सतीश बाबूसे पूछे। वे अपनी रासायनिक उद्योगशाला और उससे होनेवाली आमदनी छोड़कर इसमें पड़े हैं। वे आपको हिसाब लगाकर मेरी अपेक्षा अधिक अच्छी तरह बता सकेंगे, क्योंकि उनका मस्तिष्क शोधशील है। यदि आपको यह लगता हो कि आपको अपने देशके भूखसे तड़पते हुए लोगोंकी खातिर यह दैनिक यज्ञ करना चाहिए तो आप इसे करने में लगें।

इतना कहने के बाद गांधीजीने पूछा कि “बोलिये आपमें से कितनोंने मेरी बात समझी है ?" भाषण प्रारम्भ होनेसे पहले यह पूछनपर कि कितनोंको कातना आता है, बहुत-से लोगोंने हाथ उठाये थे। और इस प्रश्नपर कि कितने कातते हैं, कोई हाथ नहीं उठा था। जब यह पूछा गया कि कितने लोग कातनका वचन देते हैं, दस विद्यार्थियोंने ही हाथ उठाये। सप्रयोग भाषणके बाद यह पूछनेपर कि 'अब आपमें से कितने लोग कातनेका वचन देते हैं?' बीस-एक हाथ उठे। विद्यार्थियों में प्रामाणिकताको चेतना कितनी बढ़ती जा रही है, इसका प्रमाण खोजने अन्यत्र जानकी जरूरत नहीं है।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २४-५-१९२५


४३. भाषण: व्यापारियोंकी सभा, चटगाँवमें
१३ मई, १९२५
 

व्यापारियोंसे मेरा घनिष्ठ सम्बन्ध है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमने हिन्दु- स्तानको व्यापारियोंकी मार्फत खोया है और हम उसे उन्हींकी मार्फत वापस लेंगे। हिन्दुस्तानकी स्वतन्त्रता शिक्षित वर्गकी मार्फत कभी नहीं मिलेगी। समस्त विश्वमें कहीं भी शिक्षित-वर्गकी मार्फत स्वतन्त्रताकी रक्षा हुई हो, यह हम नहीं जानते। देशकी रक्षा करनेवाले तो व्यापारी और सैनिक ही होते हैं। और फिर हिन्दुस्तानकी स्वतन्त्रता लड़ाईसे नहीं गई है, केवल व्यापारसे ही गई है। इसीलिए मैं आपसे कहता हूँ कि जब मुझे अपने काममें व्यापारियोंसे पूर्ण सहायता मिलेगी तब आप हिन्दुस्तानकी स्वतन्त्रता मिली ही समझें। मेरी प्रार्थना है कि व्यापारी लोग खादी-प्रचारके सार्वजनिक सेवाकार्यमें पूरा योग्य दें। आप यज्ञके रूपमें आधा घंटा [नित्य] चरखा चलायें और शुद्ध खादी पहनें। मेरे एक दो करोड़पति मित्र खादी पहनते और सूत कातते हैं। आप भी ऐसा ही क्यों नहीं करते? आपसे तो मैं धन और बुद्धि दोनोंकी सहायता ले सकता हूँ। जो काम मैं कर रहा हूँ यदि उसे करनेका आप निश्चय करें तो आप

१. यहाँ ५०-६० विद्यार्थियोंने हाथ उठाये।