मुझसे अधिक काम कर सकते है। मेरी प्रार्थना है कि आप इस कार्यमें तन, मन और धन, तीनोंसे सहायता करें।
[गुजरातीसे]
नवजीवन, २५-५-१९२५
बीजापुर जिलेमें खद्दर सस्ता करनेके लिए एक प्रयोग किया जा रहा है। उस प्रयोगके बारेमें श्रीयुत एच० एस० कौजलगीसे प्राप्त वर्णन मैं सहर्ष प्रकाशित कर रहा हूँ।१
[माँग-मांगकर ] रुई इकट्ठा करनेका यह तरीका निश्चय ही सफल हो रहा है। श्री भरूचाने पूर्वीय खानदेशमें रुईके अच्छे परिमाणमें संग्रह किए जानेका समाचार भेजा है, वहाँ स्थानीय लोगोंके अतिरिक्त मारवाड़ियों और पारसियोंने भी रुई देने में हाथ बँटाया है। जिन अन्य स्थानोंमें इसी तरहके प्रयोग किए जा रहे हों, वहाँसे भी विवरण पाकर मुझे प्रसन्नता होगी।
[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १४-५-१९२५
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अहमदाबादके प्रस्तावको कार्यान्वित करनेके रूपमें जो सूत भेजा गया था उसके विषयमें एक कार्यकर्ता लिखते हैं :
'बुनकर इस बातकी शिकायत कर रहे हैं कि महीन सूतमें बट नहीं है। इसलिए ज्यादातर प्राप्त सूत बुनाईके कामका नहीं है। ऐसा लगता है कि कातनेवालोंके मनमें अच्छा सूत कातनेकी सावधानीकी अपेक्षा इस बातका श्रेय पाने की इच्छा रही है कि उन्होंने सूत काता। मेरा खयाल है कि आपने वहाँ गुण्डियोंको जाँचा नहीं था। कुछ बुनकर तो तानेकी पाई कर लेने के बाद भी ऐसे सूतको लौटा रहे हैं। उनकी दूसरी शिकायत गुण्डियोंके विभिन्न आकारोंके सम्बन्धमें है। बुनकरोंने मुझे बताया है कि इन परिहार्य दोषोंके कारण वे
१. यहाँ नहीं दिया गया है। पत्र लेखकने लिखा था कि उन्होंने लोगोंको साथ लेकर घर-घर जा कर मांगकर रुई इकट्ठी की। उसका सूत कतवाकर कपड़ा बुनवाया गया और लोगोंको सस्ते दामोंपर मुहैया किया गया।