पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५६. भेंट : एक मित्रसे
[१५ मई १९२५ के पश्चात् ]
 

उस मित्रने कहा : “महात्माजी" हम अपनी पिछली भूलें फिर दोहरा रहे हैं। १९०५-१९०८ में हमने ताशके पत्तोंका एक घर बनाया था, वह खड़ा होते ही बिखर गया और अब फिर हम वही करने जा रहे हैं।

आप उस समयके स्वदेशी आन्दोलनकी मौजूदा आन्दोलनसे तुलना कर रहे हैं ? आप भूलते हैं कि अब हमें दिखावटी काम नहीं करना है, खामोशीके साथ काम करना है।

श्रीमन्, मैं यह जानता हूँ, लेकिन कोई संगठन तो है नहीं।

क्षमा कीजिएगा, आपको वस्तुस्थितिका ज्ञान नहीं है। उदाहरणके लिए, क्या आप जानते हैं कि बंगालमें, तमिलनाडमें और गुजरातमें हमारे पास अच्छेसे-अच्छे संगठन हैं ? क्या आप समझते हैं कि खादी प्रतिष्ठान और अभय आश्रम, कोमिल्ला-जैसी संस्थाएँ बन्द हो जानेवाली संस्थाएँ हैं ?

लेकिन वे चलेंगी भी कैसे? हम गुजारे-भरका पैसा लेकर कार्य कर रहे हैं और अपने नौजवानोंसे उससे भी कममें ही गुजर कर लेनेको कहते हैं। यह कब तक चल सकता है?

कबतक ? क्यों ? हमारा पूरा इतिहास [ऐसे त्यागसे ] भरा पड़ा है। क्या आप समझते हैं कि हमारे नौजवानोंमें धैर्य और साहस नहीं है ? उन्होंने अच्छी तरह देखभाल कर इस काममें हाथ डाला है और वे उसे किसी भी हालतमें छोड़नेवाले नहीं हैं, अभय आश्रम, जिसे कुछ दिन पहले मैंने देखा था, एक रमणीक स्थानपर बसाया गया है। उनके पास साफ-सुथरी छोटी-छोटी कुटियाँ हैं, एक सुन्दर तालाब और अच्छी खासी खुली जमीन है। वे अपना भोजन स्वयं पकाते हैं, स्वयं ही सफाईका काम करते. हैं और एक अस्पतालकी आमदनीसे. अपना खर्च चलाते हैं। डॉ० सुरेश कोई बच्चे नहीं हैं। वे अपना काम समझते हैं और वे इस बातका ध्यान रखेंगे कि उनपर तथा उनके सहयोगियोंपर चाहे कुछ भी बीते उनका खद्दरका काम दिनोंदिन प्रगति करता रहे। और खादी प्रतिष्ठानके पास, जिसके द्वारा तैयार किये गये मालकी दर आप बहुत ऊँची बताते हैं, अभी इतनी माँगें आई पड़ी हैं कि उन्हें वह पूरा नहीं कर पाता। सतीश बाबूका काम देखिए। क्या आप कभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रोंमें गये हैं ? बाढ़-पीड़ित सहायताके काममें अब वे स्थायी रूपसे जुट गये हैं। आपको मालूम होना चाहिए कि खादी प्रतिष्ठान गुजारा-मात्रकी आयमें विश्वास नहीं रखता। वह अपने कर्मचारियोंको बाजारके हिसाबसे वेतन देता है।

१. महादेव देसाईके यात्रा-विवरणसे उद्धृत।