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ढाकाके विद्यार्थियोंके साथ बातचीत

जरूरत पूरी करनेके लिए काफी खद्दर मिलने लगे। आप ढाकाके वैभवको आसानीके साथ पुनः प्रतिष्ठित कर सकते हैं और पहलेसे भी अधिक शानदार ढंगसे। अब मैं आपका अधिक समय नहीं लूँगा।

आपने हिन्दू-मुस्लिम समस्याकी भी चर्चा की है। मैं इस समय अली-बन्धुओंमें से किन्हींको साथ लेकर नहीं आया हूँ, इसका मुझे अफसोस है। अगर वे होते तो आप लोगोंने इसका जो हार्दिक प्रमाण दिया है, मेरे साथ वे भी उसे सुनते।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका,१९-५-१९२५
 

६४. ढाकाके विद्यार्थियोंके साथ बातचीत[१]

१७ मई, १९२५

ढाका विद्यार्थियोंकी सभा मन्सूख कर दी गई थी; लेकिन गांधीजीने विद्याथियोंसे कहा कि सभी सार्वजनिक समारोहोंके समाप्त हो जानपर वे उनसे आकर मिलें और बातचीत करें। इस तरह विद्यार्थियोंको इतना मिला जितनेकी उन्होंने सपनेमें भी कल्पना न की होगी। गांधीजी छेड़ दिए जानेपर अपनी बात बहुत ही अच्छी तरह कहते हैं। एक मित्रने उन्हें यह कहकर उकसा दिया कि चरखा चलाना शक्ति और समयको बर्बादी है। दूसरेने कहा कि आपकी सलाहमें श्रम-विभाजनके सिद्धान्तका कोई खयाल नहीं रखा गया है। इसपर गांधीजीने खुलकर बोलना शुरू किया।

क्या मैं आपसे सारा दिन कातनेकी कहता हूँ? क्या मैं आपसे इसे अपने मुख्य धन्धेके रूपमें अपनानेको कहता हूँ? तब फिर इसमें श्रम-विभाजनके सिद्धान्तका भंग कहाँ हुआ? क्या आप खाने-पीनेमें इस सिद्धान्तको लागू करते हैं? जिस प्रकार हममें से प्रत्येकके लिए खाना, पीना और कपड़े पहनना जरूरी है, उसी प्रकार सबके लिए कातना भी जरूरी है। आप कहते हैं कि यह शक्ति और समयकी बर्बादी है? और आप यह भी कहते हैं कि आपके मनमें अपने देशभाइयोंके प्रति ममत्वकी भावना है। मानवोचित दयालु प्रकृतिके बिना ममत्व क्या चीज है? क्या आप वैसा कुछ महसूस करते हैं जैसा कि गाय अपने बछड़ेके प्रति, या माँ बच्चेके प्रति महसूस करती है? गायके थनमें और माँके स्तनमें अपने बच्चोंको देखते ही दूध उतर आता है। क्या अपने अकाल पीड़ित देशभाइयोंको देखकर आपका हृदय प्रेमसे भर उठता है? मेरे मित्रो! चरखा चलाना उनके प्रति अपना प्रेम प्रकट करना है। आपका सूत कातना उनको अपना निठल्लापन छोड़नेकी प्रेरणा देना है। यदि कोई लोगोंके बीचमें जाकर मधुर गीत गाता है और उनके मनको प्रभावित करता है तो क्या यह समय

  1. महादेव देसाईं द्वारा प्रस्तुत गांधीजीके यात्रा-विवरणसे उद्धृत।