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६५. भाषण : नेशनल कॉलेज, श्यामपुरमें[१]

१७ मई, १९२५

गांधीजीने कहा कि मैं विद्यार्थियोंको अस्पतालके शिलान्यासपर सहर्ष आशीर्वाद दे सकता हूँ। लेकिन वैद्यों और डाक्टरोंमें मेरी श्रद्धा बिलकुल ही नहीं है; मेडिकल कालेजोंमें तो और भी नहीं। बीमार जब डाक्टर और वैद्योंसे इलाज करानेके फेरमें पड़ जाते हैं तो और भी ज्यादा लाचार बन जाते हैं। इस पेशेकी शिक्षा अर्थोपार्जनके लिए ली जाती है, और लोग इसे प्राप्त करनेके बाद अधिकसे-अधिक धन कमानको उत्सुक रहते हैं। महात्माजीने कहा कि यदि विद्याथों मेडिकल कालेजसे बाहर निकलनेके बाद अपना जीवन देशकी खातिर समर्पित करनेकी बात स्वीकार करें तो मैं उन्हें आशीर्वाद दे सकता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, १९-५-१९२५
 

६६. पत्र : रवीन्द्रनाथ ठाकुरको

१८ मई, १९२५

प्रिय गुरुदेव,

नेपाल बाबूने मुझे आपका अत्यन्त कृपापूर्ण और प्रेमपूर्ण पत्र भेजा है। मैं जरूर बोलपुरमें एक या दो दिन बिताना चाहता हूँ। मुझसे मिलनेके लिए आपके बोलपुरसे आनेकी बातका सवाल ही नहीं हो सकता। आपके स्वास्थ्यकी हालत कितनी नाजुक है, सो मैं जानता हूँ। मैं अपने आ सकनेकी तारीखकी सूचना आपको दूँगा।[२]

आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ ४६२९) की फोटो-नकलसे।

 
  1. गांधीजीने नारायणगंजसे सुबह श्यामपुर आकर नेशनल कॉलेज अस्पतालको इमारतका शिलान्यास किया था। नेशनल कालेजके शिक्षकों और विद्यार्थियोंकी ओरसे उन्हें एक अभिनन्दन-पत्र भेंट किया गया था, जिसका जवाब उन्होंने हिन्दीमें दिया था। मूल भाषण उपलब्ध नहीं है।
  2. गांधीजी २९ मईको शान्तिनिकेतन गये थे।