पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/१६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३१
भाषण : अभिनन्दन-पत्रोंके उत्तरम

खद्दर और कताईकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप जनसाधारणके साथ एक होकर रहना चाहते हों तो ये दोनों अनिवार्य है। क्या आपने अपने स्वार्थके लिए जनसाधारणका शोषण नहीं किया है? आपने उन्हें बदलेमें क्या दिया है? अगर आप सारे भारतमें घूम कर देखें तो आपको आसानीसे पता चल जायेगा कि आप अपने भाइयोंका खून चूस कर जी रहे हैं। परिणाम यह हुआ है कि गरीबी और कंगाली देशके मर्ममें पैठ गई है और वह उनपर इस तरह हावी हो गई है कि वे यह भी भूल गये हैं कि उनमें मेहनत करने की ताकत भी है या नहीं। दरअसल, जनसाधारण लाचार होकर निठल्ला हो गया है। इसलिए आप सब चरखा अवश्य चलायें। यही कारण है कि मैं सभी जमींदारों और प्रमुख व्यक्तियोंसे कातने और इस तरह जनसाधारणको अपनी ओरसे कुछ देने को कहता हूँ। आपकी शिकायत है कि खद्दर खुरदरा होता है और टिकाऊ तथा अच्छा नहीं होता। जब आप अपने गरीब भाई-बहनोंके लिए प्रतिदिन आधा घंटा भी कात नहीं सकते, तो यह सब हो कैसे सकता है? चरखेसे केवल मनबहलाव करें तो यह सब नहीं हो सकता। चरखेपर आप अधिक सूत नहीं कात पाते; लेकिन क्यों? इसलिए कि इसे आप ठीक तरहसे और नियमपूर्वक नहीं चलाते। बाजारमें अभीतक जो सबसे अच्छा चरखा आया है, वह है खादी प्रतिष्ठानका चरखा।

इसके बाद मैमनसिंहकी जनताकी ओर मुखातिब होते हुए उन्होंने उनकी राष्ट्रीय भावनाको जगाते हुए यह आशा व्यक्त की कि वे लोग कथनानुसार काम करेंगे। महात्माजीने नकली खद्दरको तीन भर्त्सना की। उन्होंने कहा, अर्ध-खद्दर अपवित्र है और उसे जला देना चाहिए। अगर आप अच्छी, टिकाऊ और सुन्दर खादी चाहते हैं तो आप प्रतिदिन आध घंटेका श्रम जनसाधारणको, उन गरीब भाइयों और बहनोंको दें जो भूखे मर रहे हैं, जो उन्हें गिरानेवाली गरीबीके पाशमें जकड़े हुए हैं। अगर आप आधा घंटेका श्रम मुफ्त दें और देशके लिए रोज आधा घंटा कताई करें, तो मैं आपको वचन देता हूँ कि खादी सस्ती, अच्छी, सुन्दर और टिकाऊ हो जायेगी और मैं आपको यह भरोसा भी, दिलाता हूँ कि तब मैं आपको स्वराज्य भी अवश्य ही दिला दूंगा।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, २२-५-१९२५